रुद्रप्रयाग: भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में ग्याहरवें केदारनाथ समेत द्वितीय केदार मद्महेश्वर व तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाटोद्घाटन पर इस बार औपचारिकताएं रहीं. भक्त और भगवान के बीच बनी दूरी के चलते सिर्फ हक-हकूकधारी व पंच गौंडारी ही धाम पहुंचे. पूरे यात्राकाल के कुछ माह तक धामों में सन्नाटा और बाजारों में रौनक गायब रही. कारोबार और रोजगार पर भी व्यापक असर पड़ा.
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बीच 26 अप्रैल को बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली ने ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से अपने धाम के लिए प्रस्थान किया. वर्ष 1970 के बाद यह दूसरा मौका था, जब डोली भक्तों के कांधों पर जयकारों के बिना सीधे वाहन से गौरीकुंड पहुंची. यहां पर दो दिन विश्राम के बाद 28 को बाबा अपने धाम केदारनाथ पहुंचे, जहां 29 अप्रैल को भगवान केदारनाथ धाम के कपाट खुले.
इसबार धाम में ना ही जयकारें गूंजी और ना ही दर्शनों के लिए भीड़ उमड़ी. सूक्ष्म धार्मिक परंपराओं के बीच पुजारी व गिनती के कुछ लोगों ने कपाटोद्घाटन की परंपरा का निर्वहन किया. 11 मई को द्वितीय केदार मद्महेश्वर और 20 मई को तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाटोद्घाटन पर भी इस बार परंपराएं बदलीं. कपाटोद्घाटन के बाद शुरूआती एक से सवा माह तक सन्नाटा पसरा रहा. सिर्फ पुजारी, हक-हकूकधारी और पंच गौंडारी मौजूद रहे. 12 जून के बाद धामों में यात्रियों का पहुंचना शुरू हुआ और 2 अक्तूबर से श्रद्धालुओं की संख्या में प्रतिदिन इजाफा होता रहा. लेकिन बीते वर्ष की अपेक्षा इस बार केदारनाथ में सिर्फ दस फीसदी श्रद्धालु ही बाबा के दर्शन कर पाए.
वहीं, उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि, पहली बार ऐसा हुआ जब भक्तों के बिना केदारनाथ में कपाटोद्घाटन हुआ. इस वर्ष सिर्फ 1,35,023 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए. जबकि बीते वर्ष 10 लाख 21 श्रद्धलुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए थे.
केदारनाथ धाम में चिनूक से पहुंची भारी मशीनें
केदारनाथ धाम में पुर्ननिर्माण के फेस-2 में होने वाले कामों के लिए एयरफोर्स का मालवाहक चिनूक हेलीकॉप्टर से केदारनाथ में भारी मशीनें पहुंची. गौचर हेलीपैड से चिनूक ने केदारनाथ धाम के लिए उड़ान भरी. गौचर हेलीपैड से भारी मशीनों के पार्ट्स केदारनाथ पहुंचाया गया. केदारनाथ में यह दूसरा मौका रहा जब एयरफोर्स के मालवाहक का प्रयोग किया गया. इससे पहले केदारनाथ आपदा के दौरान एमआई-26 द्वारा यहां भारी सामान पहुंचाई गई थी. जबकि एमआई-17 ने तो कई बार सामान पहुंचाने का काम किया. चिनूक की लैंडिंग को लेकर केदारनाथ में हेलीपैड का भी विस्तार किया गया.
बादल फटने से रुद्रप्रयाग के सिरवाड़ी गांव में मची तबाही
बीते साल जिले के दूरस्थ गांव सिरवाड़ी में 9 अगस्त की देर रात बादल फटने से गांव में तबाही मच गई. कई ग्रामीणों के आवसीय भवनों में भारी मलबा घुस गया, तो वहीं मलबे के कारण खेत-खलिहान और पैदल रास्ते पूरी तरह से धवस्त हो गए. घटना की सूचना मिलने के बाद प्रशासन मौके पर पहुंचा और राहत बचाव का कार्य किया. बादल फटने की घटना के बाद से गांव में खौफ का माहौल बना रहा.
वहीं, विकासखण्ड जखोली के अंतर्गत सिरवाड़ी बांगर में दस परिवारों के आवासीय भवनों, गौशालाओं, शौचालयों में भारी मलबा घुस गया. बादल फटने के बाद गांव में अफरा-तफरी का माहौल मचा रहा. किसी तरह से ग्रामीण सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे थे. घरों के भीतर मलबा घुसने से ग्रामीणों के घर के भीतर रखे सामान को भी नुकसान पहुंचा. सबसे अधिक नुकसान ग्रामीणों की खेती को हुआ. ग्रामीणों की कई हेक्टेयर भूमि आपदा की भेंट चढ़ गई. बीस से भी अधिक परिवारों की खेती बादल फटने के कारण तबाह हो गई. गांव को जोड़ने वाला मुख्य पैदल संपर्क मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया. वहीं संपर्क मार्ग, विद्युत लाइन, पेयजल लाइनें भी मलबे में दब गईं.
पहले 1986 में आई थी सिरवाड़ी गांव में आपदा
सिरवाड़ी गांव का आपदा से पुराना नाता रहा है, जिस कारण बरसाती मौसम में ग्रामीण डर के साये में जीवन-यापन करते हैं. वर्ष 1986 में सिरवाड़ी गांव में बादल फटने से भारी तबाही मची थी. गांव के 13 लोगों की जहां मृत्यु हो गई थी, वहीं कई परिवार बेघर हो गये थे. सिरवाड़ी गांव को विस्थापन की सूची में रखा गया है. गांव के 56 परिवारों का विस्थापन होना है. कुछ ग्रामीणों को गांव के निकट ही गैरोली तोक में भूमि आवंटित की गई थी. जहां 25 परिवार निवास कर रहे हैं. बाकी परिवार गांव में ही रह रहे हैं.
विस्थापन न होने के कारण ग्रामीणों में रोष भी बना हुआ है. प्रत्येक वर्ष बरसाती सीजन में गांव में कुछ न कुछ घटनाएं घटती रहती हैं, जिस कारण ग्रामीण खौफ के साये में जीवन-यापन करते हैं. एक बार फिर से गांव में 1986 वाली घटना की पुनरावृत्ति हुई. हालांकि इस घटना में जनहानि तो नहीं हुई, लेकिन लोगों के घरों, खेतों आदि को भारी नुकसान पहुंचा है.
केदारघाटी के उसाडा गांव में बारिश से मची तबाही
रुद्रप्रयाग जिले की केदारघाटी में बारिश ने कहर ढा दिया. बारिश ने घाटी के उसाडा गांव में जबरदस्त कहर मचाया. गांव में जमीन धंसने से दस से अधिक मकान जमीदोंज हो गए, जबकि चालीस से अधिक परिवारों ने अपने घर खाली करके विद्यालय और पंचायत भवन में शरण ली.
बरसाती सीजन में केदारघाटी में बारिश कहर बनकर टूटी. बारिश से आम जन-जीवन बुरी तरह से प्रभावित रहा. केदारघाटी के उसाडा गांव में बारिश के बाद जमीन धंसने से भारी नुकसान हुआ. कई घरों में दरारें पड़ गईं और 40 से अधिक परिवारों ने सामान के साथ अपने घर खाली करके विद्यालय और पंचायत भवन में शरण ली. आपदा पीड़ित ग्रामीण किसी तरह से खतरे के साये में जीने को मजबूर रहे. वहीं दूसरी ओर केदारघाटी के गुप्तकाशी में केदारनाथ हाईवे का 70 मीटर हिस्सा बारिश और भूस्खलन की भेंट चढ़ गया.
नए पुल निर्माण से रुद्रप्रयाग नगर वासियों को मिली सौगात
रुद्रप्रयाग नगर क्षेत्र के डाट पुलिया का नये सिरे से नव निर्माण होने के बाद नगर वासियों को एक सौगात मिली. डाट पुलिया के कारण हर दिन जाम की समस्या बनी रहती थी. नये पुल का 30 अगस्त को व्यापार संघ अध्यक्ष चन्द्रमोहन गुसाई ने विधिवत शुभारंभ किया. राष्ट्रीय राजमार्ग खण्ड श्रीनगर डिवीजन के तहत पुल का आरसीसी डेवलपर्स लिमिटेड कंपनी ने साढ़े छः महीने में पुल का निर्माण किया. पुल निर्माण से जनता ने राहत की सांस ली.
वहीं करीब एक करोड़ 70 लाख की लागत से पुल का निर्माण किया गया. इस पुल का दस मीटर स्पान है, जबकि पुल 12 मीटर चैड़ा है. 15 फरवरी से पुल का विधिवत काम किया गया था, जो 30 अगस्त को पूरा किया गया.
भारी बारिश में भी पुरोहितों का सरकार के खिलाफ आंदोलन
देवस्थानम बोर्ड को भंग करने और केदारनाथ में मास्टर प्लाल के तहत हो रहे कार्यों के विरोध में तीर्थ पुरोहितों का तीन माह तक धरना प्रदर्शन चलता रहा. तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ धाम में बर्फवारी और बारिश में भी अपना प्रदर्शन जारी रखा. यहां तक कि तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी अर्धनग्न अवस्था में धरना देते रहे. तबियत खराब होने पर उन्हें ऋषिकेश एम्स अस्पताल में भर्ती किया गया. जहां दूसरे दिन ही वे त्रिवेणी घाट में धरने पर बैठ गए. वहीं केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. तीन माह बाद चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिव प्रसाद ममगांई और अपर जिलाधिकारी रामजी शरण के लिखित आश्वासन के बाद तीर्थ पुरोहित माने.
ऑल वेदर रोड निर्माण कार्य के चलते जनता रही परेशान
रुद्रप्रयाग मुख्य बाजार में बद्रीनाथ हाईवे पर ऑल वेदर रोड के तहत निर्माण कार्य कर रही कार्यदायी संस्था की ओर से किये जा रहे कार्यों से जनता में आक्रोश देखा गया. निर्माणदायी संस्था ने अब तक पैदल रास्तों और पेयजल लाइनों को दुरुस्त नहीं करवाया है, जिस कारण स्थानीय जनता परेशान है. सड़क चौड़ीकरण के दौरान तोड़े गए पैदल रास्तों का आज तक ट्रीटमेंट नहीं किया गया है. जबकि समय पर नाली का निर्माण न होने से हाईवे पर चलना मुश्किल हो गया है. ऐसे में आक्रोशित लोगों ने नगर क्षेत्र के पेट्रोल पंप के पास आंदोलन शुरू किया. इस दौरान लोगों को समझाने आए प्रोजेक्ट मैनेजर को लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा. यहां तक कि स्थानीय लोगों ने प्रोजेक्ट मैनेजर को रस्सी से बांधने की भी कोशिश की, जिसमें प्रोजेक्ट मैनेजर भागने में सफल रहे.