रुद्रप्रयाग:उत्तराखंड में किस तरह से आम आदमी को शोषण किया जाता है, इसकी बानगी रुद्रप्रयाग जिले में देखने को मिली. जहां जिलाधिकारी (Rudraprayag DM office) की नाक के नीचे बैठकर यहां के कर्मचारी सरकारी नौकरी के पर लोगों से पैसे मांग रहे हैं और पैसे (employee asked for bribe) नहीं मिलने पर उन्हें सालों तक दफ्तरों के चक्कर कटाते हैं.
रुद्रप्रयाग जिले के कोठगी गांव निवासी विजय लाल साल 2013 में भारतीय सेना से रिटायर्ड हुए थे. इसके बाद साल 2013 में विजय लाल ने जिलाधिकारी कार्यालय में उपनल के माध्यम से नौकरी के लिए आवेदन किया. उपनल ने ज्वाइनिंग लेटर भी दे दिया था, लेकिन 9 सालों तक इन्हें नौकरी नहीं मिली. विजय लाल का आरोप है कि जिलाधिकारी कार्यालय में तैनात एक कर्मचारी ने उनसे 2 लाख रुपये की मांग की (bribe of two lakh rupees from), जिसे वो पूरी नहीं कर सके. जिसके कारण 9 सालों से वो पात्र होते हुए भी देहरादून से लेकर रुद्रप्रयाग तक अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं.
नौकरी के नाम पर फौजी से मांगे 2 लाख. पढ़ें- उत्तराखंड कैबिनेट की अहम बैठक शुरू, कई फैसलों पर लग सकती है मुहर विजय लाल का आरोप हैं कि उनके बाद करीब 90 लोगों को उपनल व पीआरडी से जिलाधिकारी कार्यालय व तहसीलों में लगाया गया, जिसमें कई लोग अपात्र भी हैं. विजय लाल का कहना है इसमें उक्त कर्मचारी की ही बड़ी भूमिका रही है. वहीं, ये मामला सामने आते ही कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस जिला प्रवक्ता नरेंद्र बिष्ट का कहना है कि शर्म की बात है कि रुद्रप्रयाग में भी नौकरियों के लिए पैसे की डिमांड की जा रही है. रुद्रप्रयाग में भी हाकम सिंह तैयार हो रहे हैं, कांग्रेस ने इस मामले में बीजेपी नेताओं के शामिल होने का आरोप लगाया है.
विजय लाल के मामले में अब रुद्रप्रयाग डीएम मयूर दीक्षित (Rudraprayag DM Mayur Dixit) ने सुनवाई की और उन्हें पात्र मानते हुए उपनल या पीआरडी से नौकरी देने के आदेश जारी किए, लेकिन फिर भी अभी तक उन्हें नौकरी नहीं मिली है. विजय लाल के नौकरी के एवज में पैसे मांगने के आरोप को डीएम ने गंभीरता से लेते हुए इस मामले में एडीएम को जांच सौंप दी है. डीएम मयूर दीक्षित का कहना है कि अगर आरोप सत्य पाए जाते हैं तो कार्रवाई की जाएगी.
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