रुद्रप्रयाग: द्वितीय केदार मदमहेश्वर यात्रा का अहम पड़ाव व भगवती राकेश्वरी की तपस्थली रांसी गांव धीरे-धीरे पर्यटन गांव के रूप में विकसित होने लगा है. स्थानीय युवाओं के रांसी गांव में धीरे-धीरे होटल, ढाबों व टेंट व्यवसाय को बढ़ावा देने से गांव का चहुंमुखी विकास होने लगा है. जिससे क्षेत्रीय युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं. इसके साथ ही मदमहेश्वर घाटी के पर्यटक स्थलों में सैर करने वाले सैलानियों, पर्यटकों व सैलानियों को सुख, सुविधा भी उपलब्ध हो रही हैं. आने वाले समय में यदि रांसी गांव में पर्यटन व्यवसाय में इसी प्रकार वृद्धि हुई तो भविष्य में रांसी गांव मदमहेश्वर घाटी का पर्यटन गांव घोषित हो सकता है.
मदमहेश्वर घाटी की खूबसूरत वादियों में बसे रांसी गांव को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है. रांसी गांव को चन्द्र कल्याणी भगवती राकेश्वरी की तपस्थली के रूप में विशिष्ट पहचान मिली है. रांसी गांव में वर्ष भर सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, पौराणिक व धार्मिक परम्पराओं का निर्वहन युगों से होता रहता है. बैशाखी पर्व पर रांसी गांव में पांच दिनों तक मनाया जाता है. ग्रामीणों के सामूहिक पहल पर पांच दिनों तक कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. सावन महीने में भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा का आयोजन भी रांसी गांव से ही किया जाता है, जबकि सावन व भाद्रपद दो महीने तक पौराणिक जागरों के माध्यम से उत्तराखण्ड के प्रवेश द्वार हरिद्वार से लेकर चैखम्बा हिमालय तक 33 कोटि देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान करने की परम्परा रांसी गांव में युगों से चली आ रही है.