रुद्रप्रयाग:कहते हैं हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और होते हैं. ये कहावत रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल पर सटीक बैठती है. यहां मरीजों के इलाज के लिए आलीशान भवन तो बना दिया गया, लेकिन हॉस्पिटल में इलाज करवाने पहुंच रहे मरीजों को खराब पड़ी मशीन, नर्स और वार्ड ब्वॉय की भारी कमी की वजह से प्राइवेट क्लीनिकों की ओर रुख करना पड़ता है.
रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल में स्टाफ का टोटा. जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग के अस्तित्व में आने के बाद से ही यहां सुविधाओं का टोटा बना हुआ है. यहां जनता के लंबे संघर्ष के बाद अस्पताल में अब कहीं जाकर डॉक्टरों की तैनाती हुई है, लेकिन स्टाफ की कमी अभी भी बनी हुई है. ऐसे में डॉक्टरों के साथ ही मरीज भी परेशान हैं. तीन फ्लोर के चिकित्सालय भवन में डॉक्टर और फार्मासिस्ट को ही दौड़ लगानी पड़ती है.
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अस्पताल में पिछले दो हफ्तों से अल्ट्रासाउंड मशीन भी खराब है. अल्ट्रासाउंड मशीन खराब होने से सबसे ज्यादा समस्या गर्भवती महिलाओं को हो रही हैं, उन्हें महंगे दामों में प्राइवेट क्लीनिकों में पहुंचना पड़ रहा है. गरीब मरीज जो दूर-दराज से जिला चिकित्सालय पहुंच रहे हैं उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ रहा है.
जिला चिकित्सालय में फीजिशियन, गायनो, बाल रोग, जनरल सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ के साथ ही फिजियोथैरेपिस्ट हैं. लेकिन स्टाफ की कमी के चलते सभी व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं. इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के हिसाब से जिला अस्पताल में 45 स्टाफ नर्स की तैनाती होनी चाहिए, मगर जिला चिकित्सालय में 6 नर्स ही हैं. वहीं, अस्पताल में दो बजे के बाद एक ही नर्स रहती है, जिसे पूरा काम देखना पड़ता है.
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ओपीडी और इंडोर पेशेंट की देखभाल पूरी तरीके से स्टाफ नर्स पर निर्भर करती है. लेकिन, एक नर्स अस्पताल के सभी वार्ड जो मरीजों से भरे हुए हैं उन्हें संभाल रही है. एक स्टाफ नर्स का तीन फ्लोर देखना नामुमकिन है, जिस वजह से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. स्टाफ नर्स की कमी के चलते कुछ काम फार्मासिस्ट संभाल रहे हैं. जिला चिकित्सालय में स्टाफ नर्स के साथ ही आया और वार्ड ब्वॉय की भी कमी बनी हुई है. वार्ड आया और वार्ड ब्वॉय मिलाकर नौ कर्मचारी काम कर रहे हैं, जबकि 25 लोगों की अस्पताल में आवश्यकता है.
पूर्व सभासद अजय सेमवाल ने बताया कि जिला चिकित्सालय में रिक्त चल रहे पदों की वजह से इमरजेंसी सेवाओं को संचालित होने में भी परेशानी हो रही है. डॉक्टर के केबिन के बाहर एक वार्ड ब्यॉय होना चाहिए, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते डॉक्टर खुद ही चिल्लाकर मरीजों को बुला रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग पर चमोली जिला भी निर्भर है और यात्रा सीजन भी चरम पर है, जिस वजह से सैकड़ों मरीज हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं.
वहीं, जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिग्विजय सिंह रावत ने कहा कि शासन स्तर पर कई बार लिखा गया है. लेकिन, आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिल रहा है.