रुद्रप्रयाग: जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग (Rudraprayag District Administration) की धार्मिक यात्राओं को प्लास्टिक मुक्त (Campaign make religious pilgrimages plastic free) करने की सार्थक पहल रही है. ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ, तृतीय केदार तुंगनाथ समेत कई धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर लाखों पर्यटक हर साल पहुंचते हैं. इस वर्ष अकेले केदारपुरी में ही करीब साढ़े 15 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं. ऐसे में प्लास्टिक कचरे का निस्तारण एक बड़ी चुनौती (Plastic waste disposal a big challenge) जिला प्रशासन के सामने रही, बावजूद इसके जिला प्रशासन के अथक प्रयासों से इस समस्या को कम करने के लिए क्यूआर कोड प्रणाली शुरु की गई. यह पहल काफी फायदेमंद साबित हुई है.
बता दें राज्य सरकार की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तहर से बैन लगा दिया गया है. ऐसे में यात्रा मार्ग पर लाखों श्रद्धालुओं द्वारा पानी की बोतलों, कोल्ड ड्रिंक समेत अन्य प्लास्टिक का सामान इस्तेमाल करने के बाद उसका उचित निस्तारण बड़ी चुनौती रही. रिसायकल संस्था के साथ मिलकर पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर केदारनाथ यात्रा मार्ग एवं दूसरे चरण में चोपता-तुंगनाथ और देवरियाताल मार्ग पर क्यूआर कोड व्यवस्था को लागू किया. इस वर्ष पानी की बोतलों पर क्यूआर लगाने से प्रोजेक्ट शुरू हुआ था, जबकि बाद में कोल्ड ड्रिंक की बोतलों पर भी इसे लागू किया गया.
26 हजार से ज्यादा प्लास्टिक की बोतलें एकत्रित. पढ़ें-उत्तराखंड में बाबा रामदेव की 5 दवाओं पर रोक, दिव्य फार्मेसी ने आयुर्वेद विरोधी ड्रग माफिया की साजिश बताया
आगामी यात्राओं में योजना को बड़े पैमाने पर लागू कर सभी प्रकार के प्लास्टिक कचरे को निस्तारित करने के लिए इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है. डीएम मयूर दीक्षित ने बताया छः मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर रिसायकल संस्था ने जिला प्रशासन के निर्देशन में नंगर पंचायत केदारनाथ, सुलभ इंटरनेशनल एवं यात्रा मैनेजमेंट फोर्स के कर्मचारियों के साथ मिलकर मंदिर परिसर के समीप की कुछ दुकानों से प्रोजेक्ट शुरू किया.
सफल परीक्षण के बाद सोनप्रयाग से केदारनाथ के बीच सभी दुकानों में क्यूआर कोड लागू किए गए. दूसरे चरण में सिस्टम चोपता-तुंगनाथ मार्ग पर लागू किया गया, जहां इस प्रयोग को और गति मिली. जिला प्रशासन के सहयोग से केदारनाथ, चोपता-तुंगनाथ और देवरियाताल मार्ग पर 26 हजार 551 प्लास्टिक बोतलें संस्था के काउन्टर पर एकत्रित हुई हैं, जबकि 90,650 क्यूआर कोड वितरण किए गए. जिन दुकानों में क्यूआर कोड लगी बोतलें पूरी नहीं बिकी हैं, वे आने वाले समय में बेची जा सकती हैं.
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क्या है डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम:रिसायकल संस्था के संस्थापक अभयदेश पांडेय ने बताया उनकी संस्था ने देश में पहली बार यह सिस्टम रुद्रप्रयाग जिले में लागू किया. यह एक डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम है, जो कूड़ा निस्तारण के सशक्त सिस्टम को समाज में लागू करने की मुहिम है, ताकि प्रतिदिन पैदा हो रहे कूड़े को एकत्रित कर रिसायकल किया जा सके। सिस्टम के जरिए प्लास्टिक की बोतलों पर एक क्यूआर कोड चस्पा कर बोतलों की टैगिंग की जा रही है. हर क्यूआर कोड लगी बोतल पर बिक्री के समय दस रुपये अतिरिक्त वसूले जाते हैं. प्रत्येक बोतल वापस जमा करने वाले को 10 रुपये कमाने का मौका दिया जा रहा है. एकत्रित कूड़े को रिसायकल कर दोबारा किसी तरह उपयोग में लाया जाता है.