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रामबाड़ा से केदारनाथ तक पैदल मार्ग का होगा पुनर्निर्माण, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा प्रस्ताव

साल 2013 की आपदा में तबाह हुए रामबाड़ा से केदारनाथ पैदल मार्ग के पुनर्निर्माण की योजना बनाई जा रही है. इसके लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है. पैदल मार्ग बनने के बाद वन-वे व्यवस्था के लिए भी रास्ता खुलेगा.

Kedarnath disaster 2013
Kedarnath disaster 2013

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Published : Sep 11, 2021, 1:03 PM IST

रुद्रप्रयाग:केदारनाथ आपदा में तबाह हुए रामबाड़ा से केदारनाथ 8 किमी. पैदल मार्ग के पुनर्निर्माण की योजना बनाई जा रही है. इसका प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया है और स्वीकृति मिलते ही इस पर कार्य शुरू हो जाएगा. मार्ग बनने के बाद धाम के लिए रामबाड़ा से केदारनाथ तक वन-वे व्यवस्था लागू करने का विकल्प भी खुल जाएगा. यह पैदल मार्ग पुराने पैदल मार्ग से लगभग एक किलोमीटर अधिक लंबा होगा.

जिलाधिकारी मनुज गोयल ने बताया कि केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक 3.5 किलोमीटर मार्ग बन चुका है और अब रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक 5.3 किलोमीटर मार्ग निर्माण का प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया है. अब यह मार्ग लगभग 9 किलोमीटर लंबा होगा जबकि पूर्व में इसकी लंबाई 8 किलोमीटर ही थी.

डीएम ने बताया कि इस पहाड़ी पर मंदाकिनी नदी से लगभग 1.5 किलोमीटर ऊपर तक भूस्खलन जोन सक्रिय हैं. इसे देखते हुए कार्यदायी संस्था ने पैदल मार्ग को भूस्खलन जोन के ऊपर से बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है. रामबाड़ा से केदारनाथ तक पुराने पैदल मार्ग के निर्माण से यात्रियों को काफी राहत मिलेगी.

घोड़ा-खच्चर और पैदल यात्रियों के एक साथ गुजरने के कारण मार्ग पर काफी भीड़ हो जाती है. ऐसे में घोड़ा-खच्चर की टक्कर से हादसे भी होते रहते हैं. साथ ही पैदल यात्रियों को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं. घोड़ा-खच्चर की लीद से मार्ग पर गंदगी व कीचड़ भी होता है, ऐसे में नया मार्ग यात्रा को सुलभ बनाने का कार्य करेगा.

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आपदा की भेंट चढ़ गया था पैदल मार्ग:16-17 जून, 2013 की केदारनाथ आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक पैदल मार्ग मंदाकिनी नदी के सैलाब में समा गया था, जिस पहाड़ी से यह मार्ग गुजरता था उस पर भूस्खलन जोन भी विकसित हो गए थे. ऐसे में प्रशासन ने दायीं ओर की पहाड़ी पर रामबाड़ा से केदारनाथ तक 9 किलोमीटर नए पैदल मार्ग का निर्माण कराया है. अभी इसी मार्ग से आवाजाही होती है, लेकिन इस मार्ग पर हिमखंड सक्रिय रहते हैं.

यात्राकाल में उनके टूटकर मार्ग पर आने का खतरा बना रहता है. साथ ही इस मार्ग पर चढ़ाई भी काफी तीखी है, जिससे आवाजाही में यात्रियों को खासी दिक्कतें होती हैं. यही वजह है कि आपदा में बहे मार्ग के पुनर्निर्माण की मांग समय-समय पर उठती रही है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में इस मार्ग का पुनर्निर्माण भी शामिल है.

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