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पिरूल बनेगा युवाओं के रोजगार का साधन, वनाग्नि की घटनाएं भी होगी कम, जानिए क्या है योजना - रुद्रप्रयाग ताजा समाचार टुडे

यदि पिरूल का इस्तेमाल बिजली उत्पादन के लिए होता है, तो जंगलों में आग लगने की घटनाओं पर 80 प्रतिशत तक रोक लग जाएगी. इसीलिए सरकार अब इस दिशा में काम कर रही है. इसकी को लेकर गुरुवार को रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी ने उरेडा और वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की.

Pirul
पिरूल बनेगा युवाओं के रोजगार का साधन

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Published : Mar 3, 2022, 5:04 PM IST

रुद्रप्रयाग: जनपद में चीड़ के पत्तों (पिरूल) से लगने वाली आग से वन संपदा को बचाने के साथ ही महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाने की पहल की जा रही है. पिरूल से विद्युत उत्पादन किए जाने को लेकर जिलाधिकारी मनुज गोयल ने उरेडा और वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की और इसके लिए लगाए जाने वाले प्रोजेक्ट के संबंध में अधिकारियों से जानकारी प्राप्त की.

बैठक में परियोजना अधिकारी उरेड़ा संदीप कुमार सैनी ने जिलाधिकारी को अवगत कराया कि जनपद का कुल वन क्षेत्रफल 17,083 हेक्टेयर है, जिसमें रिजर्व वन 15,072 और वन पंचायत 2,011 हेक्टेयर है. इससे लगभग 64,063 मिट्रिक टन पिरूल उपलब्ध होता है, जिससे लगभग 15 मेगावाट विद्युत उत्पादन होने की संभावना है.
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इसके लिए दो प्रोजेक्ट तैयार किए जाने के लिए भूमि का चयन किया जाना है. उन्होंने अवगत कराया कि इस प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के लिए एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) द्वारा फाइनेंस किया जाएगा. जिलाधिकारी ने उरेडा और वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि उन्होंने क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए, जहां पर पिरूल उपलब्ध होता है. ताकि वहां दो प्रोजेक्ट लगाए जा सकें. इस दिशा में जल्द से जल्द काम किया जाए.

उन्होंने कहा कि पिरूल से विद्युत उत्पादन किए जाने से जहां एक ओर स्थानीय महिलाओं और बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. वहीं, पिरूल से वनों में लगने वाली आग को कम किया जा सकेगा. बैठक में परियोजना निदेशक डीआरडीए रमेश चंद्र, डिप्टी रेंजर वन प्रभाग रुद्रप्रयाग चंडी प्रसाद चौकियाल सहित संबंधित अधिकारी मौजूद रहे.

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