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फल वितरण के साथ हुआ पांडव नृत्य का समापन, गैंडा कौथिग रहा आकर्षण का केंद्र

बीते दिनों से शुरू हुए पांडव नृत्य का विधिवत फल वितरण के बाद आज समापन हो गया है. पुजारी ने पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की भी विशेष पूजा अर्चना की.

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गैंडा कौथिग रहा आकर्षण का केंद्र

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Published : Dec 19, 2020, 6:49 PM IST

रुद्रप्रयाग: भरदार क्षेत्र के तरवाड़ी गांव में चल रहे पांडव नृत्य का फल वितरण के साथ समापन हो गया. पांडवों ने अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य करने के बाद भगवान नारायण द्वारा फेंके गए फलों को भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. अंत में पांडवों व देव निशानों के अपने ससुराल स्वीली जाने का विदाई का पल सभी को भावुक कर गया. ग्रामीण बड़ी संख्या में देव निशानों को स्वीली गांव तक छोड़ने भी गए. अंतिम दिन दूर-दराज क्षेत्रों के साथ बड़ी संख्या में यहां भक्तजन पहुंचे हुए थे.

पांडव नृत्य का हुआ समापन

बीते 25 नंवबर से ग्राम पंचायत दरमोला के तरवाड़ी में शुरू हुए पांडव नृत्य का विधिवत समापन हो गया है. भगवान बद्रीविशाल एवं शंकरनाथ की विशेष पूजा अर्चना के बाद भोग लगाया गया. पुजारी ने पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की भी विशेष पूजा अर्चना की, पहले ढोल दमांऊ की थाप पर पांडवों के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी खूब नृत्य किया.

फल वितरण के साथ पांडव नृत्य का हुआ समापन

बाद में बाण आने पर पांडवों ने ही अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य किया. पांडवों के नृत्य ने लोगों को खूब आनंदित भी किया. भगवान नारायण के पश्वा समेत सभी पांडवों ने अंत में भक्तों के बीच फल फेंके, जिसे भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया.

मान्यता है कि जो भक्त इस फल को पकड़ता है, उसे मनवांछित फल की फल की प्राप्ति होती है, इससे पूर्व बीते रातभर अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य चला. जिसमें गैंडा का कौथिग आकर्षण का केन्द्र बना रहा. गैंडा मरने के बाद पांडवों ने जौ की फसल बौने के साथ ही उसे काटने का पूरा संजीव चित्रण किया. फसल कटने के बाद उसका एक हिस्सा बद्रीनाथ भगवान को चढ़ाया गया तथा अन्य हिस्से को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरण किया गया.

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इस दौरान पांडवों ने केदारनाथ यात्रा पर जाने का मंचन कर भी किया. अंत में पांडवों एवं देवी-देवताओं के निशान अपने ससुराल स्वीली गांव के लिए विदा हुए. इस दौरान भक्तों के जयकारों के साथ यहां का पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. पांडव नृत्य देखने के लिए दरमोला, डुंग्री, स्वीली, सेम, जवाड़ी, रौठिया, मेदनपुर से बड़ी संख्या भक्तजन उपस्थित रहे.

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