रुद्रप्रयाग : धार्मिक दृष्टि से रुद्रप्रयाग जिले का विशेष महत्व है. पंच केदारों में से तीन केदारनाथ होने के साथ ही यहां एक प्रयाग भी है. जबकि, अनेक सिद्धपीठ एवं शक्तिपीठ विराजमान हैं. यही कारण है कि यहां सालभर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है. रुद्रप्रयाग जनपद की एक विशेष पहचान और भी है. जिले की केदारघाटी के गांव-गांव में सर्दियों के मौसम में होने वाली पांडव लीलाएं और पांडव नृत्य अपनी ओर हर किसी को आकर्षित करता है. इन दिनों भी जगह-जगह पांडव नृत्य की धूम है.
मान्यता है कि स्वर्गारोहणी जाने से पूर्व पांडव केदारघाटी में आए थे, और पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्रों को केदारघाटी के लोगों को पूजा के लिए सौंप दिया था. पूर्व से लेकर अब तक पौराणिक परंपराओं के अनुसार केदारघाटी के अनेक गांवों में नवंबर से दिसंबर महीने में पांडव लीला एवं नृत्य का आयोजन किया जाता है. लगभग एक महीने तक चलने वाली लीलाओं में महाभारत की कथाओं का सम्पूर्ण वर्णन किया जाता है. जगह-जगह चक्रव्यूह का भी आयोजन होता है. केदारघाटी में पांडव नृत्य को त्यौहार की तरह मनाया जाता है. पांडव नृत्य में सभी ग्रामीणों की सहभागिता जरूरी होती है.