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रुद्रप्रयाग के पांडव नृत्य में बाणों का कौथिग रहा आकर्षण का केंद्र, 28 नवंबर को होगा समापन - Rudraprayag Alaknanda Mandakini Sangam

उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत के कई रंग देखने को मिलते हैं. अमूमन देवभूमि की विरासत की झलक यहां के मेलों में साफ देखी जा सकती है. वहीं रुद्रप्रयाग तरवाड़ी में चल रहे पांडव नृत्य (Rudraprayag Tarwadi Pandava Dance) में पांडवों ने अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य शुरू किया. पांडव नृत्य में बाणों का कौथिग आकर्षण का केन्द्र बना रहा.

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Published : Nov 12, 2022, 12:09 PM IST

रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत दरमोला के राजस्व ग्राम तरवाड़ी में चल रहे पांडव नृत्य (Rudraprayag Tarwadi Pandava Dance) में पांडवों ने अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य शुरू किया. पांडव नृत्य में बाणों का कौथिग आकर्षण का केन्द्र बना रहा. इस अवसर पर दूर-दराज के क्षेत्रों से पहुंचे भक्तों ने भगवान बदरी विशाल (Lord Badri Vishal) एवं शंकरनाथ देवता के साथ ही पांडवों का आशीर्वाद लिया. आगामी 28 नवम्बर को प्रसाद वितरण के साथ पांडव नृत्य का विधिवत समापन किया जाएगा.

गत 4 नवम्बर एकादशी पर्व पर अलकनंदा-मंदाकिनी संगम (Rudraprayag Alaknanda Mandakini Sangam) स्थल गंगा स्नान के साथ भरदार क्षेत्र के तरवाड़ी गांव (Tarwadi village in Rudraprayag) में पांडव नृत्य का आयोजन शुरू हुआ था. आज सुबह ग्रामीणों ने भगवान बदरी विशाल एवं अन्य देवताओं को पूरी प्रसाद एवं खीर का भोग लगाया. पुजारी कीर्ति प्रसाद डिमरी ने पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों के साथ देव निशानों की विशेष पूजा-अर्चना कर आरती की. जिसके बाद पांडव पश्वों ने नृत्य करने वाले स्थान पांडव चौक के चारों कोने की पूजा-अर्चना की तथा ढोल सागर की ताल पर देवता अवतरित हुए.
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पुजारी के पांडवों को अस्त्र-शस्त्र देने के बाद ही ढोल-दमाऊ की थाप पर नृत्य शुरू हुआ, जो भक्तों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा. पांडव नृत्य देखने के लिए दरमोला, तरवाड़ी, स्वीली, सेम, डुंग्री, जवाड़ी, मेदनपुर, रौठिया समेत कई दूर-दराज के क्षेत्रों से ग्रामीण पहुंचे. पांडव नृत्य में बाणों के कौथिग का नृत्य दो घंटे तक चलता रहा. अंत में बदरीविशाल को लगाए गए भोग को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया गया. इससे पूर्व भक्तों ने भगवान बदरीनाथ एवं शंकरनाथ देवता को भेंट लगाकर आशीर्वाद भी लिया. भक्तों ने अपने परिवार की खुशहाली की कामना भी की.
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पांडव नृत्य समिति तरवाड़ी के अध्यक्ष (pandav dance committee tarwadi president) भोपाल सिंह पंवार एवं करण रावत ने बताया कि 26 नवम्बर को नौगरी का कौथिग, 27 नवम्बर को गेंडे का कौथिग व सिरोता एवं 28 नवम्बर को नारायण के फल वितरण के साथ पांडव नृत्य का विधिवत समापन किया जाएगा. उन्होंने अधिक से अधिक लोगों को पांडव नृत्य में पहुंचने की अपील की है. इस अवसर पर पुजारी कीर्ति प्रसाद डिमरी, जसपाल सिंह पंवार, नत्था सिंह पंवार, किशन रावत, नरेन्द्र पंवार, राकेश पंवार, शूरवीर सिंह, राजेन्द्र सिंह, कृपाल सिंह, वीर सिंह, दिनेश सिंह, केवल सिंह, सोबत सिंह समेत बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित थे.

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