रुद्रप्रयाग: हिमालय में सबसे ऊंचाई पर विराजमान तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के धाम में एक माह छ: दिन की अवधि में तीर्थ यात्रियों का आंकड़ा 19 हजार के पार पहुंच गया है. तुंगनाथ धाम में प्रतिदिन सैकड़ों तीर्थ यात्री पूजा-अर्चना व जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित कर विश्व समृद्धि की कामना कर रहे हैं. तुंगनाथ धाम में प्रतिदिन सैकड़ों तीर्थ यात्रियों की आवाजाही होने से तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों पर रौनक लौटने लगी है.
मन्दिर समिति प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर पुष्वाण ने बताया तुंगनाथ धाम हिमालय के सबसे ऊंचाई पर विराजमान है. तुंगनाथ धाम में भगवान शंकर के भुजाओं की पूजा होती है. उन्होंने बताया तुंगनाथ धाम हिल स्टेशन चोपता से लगभग चार किमी दूर व चन्द्र शिला की तलहटी में सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य बसा हुआ है. तुंगनाथ धाम के प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी ने बताया इस वर्ष भगवान तुंगनाथ के कपाट 26 मई को ग्रीष्मकाल के लिए खोले गये थे. कपाट खुलने से लेकर अभी तक 19,961 तीर्थ यात्री तुंगनाथ धाम पहुंचे हैं.
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मदमहेश्वर धाम के यात्रा पड़ावों पर सुविधाओं का अभाव:वहीं, बात अगर द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की करें तो धाम सहित यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है. जिससे मदमहेश्वर घाटी का तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है. मदमहेश्वर घाटी के चहुंमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है. प्रदेश सरकार की पहल पर यदि केन्द्र सरकार केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेन्चुरी वन अधिनियम में ढील देने का प्रयास करती है तो मदमहेश्वर यात्रा पड़ावों का चहुंमुखी विकास होने के साथ मदमहेश्वर घाटी आने वाले तीर्थ - यात्रियों व सैलानियों की आवाजाही में भारी इजाफा होने से स्थानीय तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में भारी इजाफा होने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है.