रुद्रप्रयाग: एक ओर जहां चारधाम यात्रा पर हाईकोर्ट से रोक लगाई गई है, वहीं दूसरी तुंगनाथ धाम सहित चोपता में सैकड़ों की संख्या में पर्यटक एवं यात्री पहुंच रहे हैं. वहीं चोपता-तुंगनाथ पैदल ट्रैक क साथ ही बुग्यालों में गंदगी फैल रही है, जिस कारण पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में ईको पर्यटन विकास समिति तुंगनाथ चोपता, व्यापार संघ व जीप टैक्सी यूनियन की ओर से संयुक्त अभियान चलाते हुए चोपता-तुंगनाथ पैदल मार्ग के यात्रा पड़ावों सहित तुंगनाथ धाम में स्वच्छता अभियान चलाया. साथ ही कई कुंतल प्लास्टिक व कूड़ा एकत्रित कर निस्तारण के लिए चोपता मार्ग तक पहुंचाया.
बता दें कि हाईकोर्ट की ओर से चारधाम यात्रा पर रोक लगाई गई है, जिससे कोरोना महामारी फैलने से रुक पाए और लोग सुरक्षित रह सकें. वहीं दूसरी ओर मिनी स्विट्जरलैंड चोपता एवं तुंगनाथ धाम में सैकड़ों की संख्या में तीर्थयात्री एवं सैलानी पहुंच रहे हैं, जो गंदगी फैला रहे हैं. जिससे पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है. ईको पर्यटन विकास समिति तुंगनाथ चोपता, व्यापार संघ व जीप टैक्सी यूनियन की ओर से संयुक्त अभियान चलाते हुए गंदगी को साफ किया गया.
चोपता-तुंगनाथ के बुग्यालों में लगा गंदगी का अंबार पढ़ें-श्रीराम मंदिर संघर्ष पर लिखी पुस्तक को लेकर भट्ट ने PM से की चर्चा, 21 देशों में किया जाएगा विमोचन
ईको पर्यटन विकास समिति के पदाधिकारियों ने तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों पर व्यवसाय कर रहे व्यापारियों से कहा कि वे तुंगनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों व सैलानियों को सलाह दें कि प्रयोग के बाद प्लास्टिक कचरे को उचित स्थानों पर रखें. तुंगनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों व सैलानियों द्वारा लगातार प्लास्टिक की बोतलों व अन्य कूड़े को खुले में छोड़ना चिंता का विषय बना हुआ है और प्रयोग के बाद कूड़े को खुले में छोड़ने से सुरम्य मखमली बुग्यालों की सुन्दरता गायब हो रही है.
उन्होंने बताया कि ईको पर्यटन विकास समिति द्वारा आगामी समय में चोपता -तुंगनाथ पैदल मार्ग सहित चन्द्र शिला तक भोज पत्र के पौधों को रोपित कर तुंगनाथ घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य को सजाने व संवारने की सामूहिक पहल की जायेगी. ईको पर्यटन विकास समिति के अध्यक्ष भूपेन्द्र मैठाणी ने बताया कि कुछ तीर्थ यात्रियों व सैलानियों के पैदल मार्ग के बजाय सुरम्य मखमली बुग्यालों से आवाजाही करने के कारण बुग्यालों की सुन्दरता धीरे-धीरे गायब हो रही है और भविष्य में बुग्यालों में भूस्खलन होने की संभावना बनी हुई है. इसलिए वन विभाग व शासन को पत्र भेजकर चोपता-चन्द्रशिला पैदल मार्ग के दोनों तरफ जाली व घेरबाड़ करने की मांग की जायेगी.