उत्तराखंड

uttarakhand

रुद्रप्रयाग: किसानों को दिया गया अत्याधुनिक खेती का प्रशिक्षण

By

Published : Sep 18, 2020, 9:57 AM IST

उद्यान विभाग की ओर से रुद्रप्रयाग के जिला कार्यालय सभागार में किसानों को अत्याधुनिक कृषि का प्रशिक्षण दिया गया. इस दौरान किसानों को अत्याधुनिक खेती की बारीकियों से रूबरू कराया गया.

rudraprayag
अत्याधुनिक खेती का प्रशिक्षण

रुद्रप्रयाग: जिला कार्यालय सभागार में उद्यान विभाग की ओर से चिन्हित प्रगतिशील कृषकों को अत्याधुनिक कृषि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस अवसर पर जिलाधिकारी ने बताया कि प्रगति प्रोजेक्ट के तहत जिले में कृषि, उद्यान और पशुपालन, रेशम विभाग की ओर से 950 कृषकों को चिन्हित किया गया है. इनमें से अच्छा कार्य करने वाले 28 प्रगतिशील कृषकों को अत्याधुनिक औद्यानिकी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रगति प्रोजेक्ट का नियोजन कृषकों द्वारा ही किया जाएगा.

जिलाधिकारी ने बताया कि कृषि विभाग की ओर से किसानों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा. नियोजन लागू करने के लिए जिला प्रशासन व विभाग की ओर से नियमानुसार सहयोग किया जाएगा. चिन्हित किए गए किसानों को विभाग द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है और कृषकों को बीज आपूर्ति, कृषि यंत्र और विपणन में अधिक सुगमता हो, इसके लिए किसानों का संगठन क्षेत्रवार बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इससे उनमें नेतृत्व भावना का विकास होगा. उन्होंने बताया कि क्षेत्र में जिस बीज की डिमांड होगी उसकी आपूर्ति संगठन के अध्यक्ष या विभाग को समय से की जाएगी.

ये भी पढ़ें: उत्तरकाशी: चिट-फंड के नाम पर ठगी करने वाले दो युवक गिरफ्तार

वहीं, प्रशिक्षण में जिला उद्यान अधिकारी योगेंद्र सिंह ने बताया कि किसानों को कृषि की अत्याधुनिक तकनीक की बारीकियों से रूबरू कराया गया है. किसानों को बताया गया कि पादपों को उचित आहार मिलना सबसे महत्वपूर्ण है. फलवाले और सब्जी के पादपों को अन्य पादपों के सदृश ही अपनी वृद्धि के लिए कई प्रकार के आहार और अवयवों की आवश्यकता होती है, जो साधारणतः पर्याप्त मात्रा में उपस्थित रहते हैं, मगर कोई अवयव पादप को कितना मिल सकेगा यह कई बातों पर निर्भर है.

ये भी पढ़ें: देहरादून: अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई, वीकेंड में होगा सैनिटाइजेशन

उद्यान अधिकारी ने किसानों को बताया कि मिट्टी का कितना अंश कलिल (कलायड) के रूप में है. मिट्टी में आद्रता कितनी है और उसकी अम्लता (पीएच) कितनी है. अधिकांश फसलों के लिए भूमि में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम डालना काफी उपयोगी सिद्ध होता है, क्योंकि ये तत्व विभिन्न फसलों द्वारा न्यूनाधिक मात्रा में निकल जाते हैं. इसलिए ये देखना आवश्यक है कि भूमि के इन तत्वों का संतुलन पौधों की आवश्यकता के अनुसार ही रहे. उद्यान अधिकारी ने बताया कि किसी एक तत्व के बहुत अधिक मात्रा में डालने से दूसरे तत्वों में कमी या असंतुलन उत्पन्न हो सकता है, जिससे उपज में कमी आ सकती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details