रुद्रप्रयाग: जिले के विकासखण्ड अगस्त्यमुनि का ढिंगणी गांव मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जनशून्य हो चुका है. गांव में अब कोई रहने वाला नहीं है. चारों ओर इस गांव में अब वीरानी ही छाई हुई है. समय रहते अगर सरकार और शासन-प्रशासन की ओर से गांव में सुविधाएं दी जाती तो आज स्थिति ऐसी देखने को नहीं मिलती.
पहाड़ी जिलों में पलायन का दर्द किसी से छिपा नहीं हैं. सुविधाओं के अभाव में गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं. रुद्रप्रयाग जिले का ढिंगणी गांव भी पलायन का शिकार हो चुका है. गांव में अब एक भी व्यक्ति नहीं रहता है. कभी इस गांव में 30 से ज्यादा परिवार निवास करते थे और अब स्थिति डरावनी बनी हुई है. एक समय ऐसा था जब सरकारी नौकरी से रिटायर्ड होने के बाद लोग गांव में आकर रहा रहते थे, मगर सुविधाएं न मिलने से उन्हें भी गांव को छोड़ना पड़ा.
ढिंगणी गांव को सड़क से जोड़ने के लिए कई बार सर्वे हो चुकी है, मगर सर्वे के बाद सड़क की उम्मीद पूरी नहीं हो सकी. गांव को जाने के लिए रास्ता तक नहीं है. इस गांव में पहुंचने के लिए लोगों को 8 किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है. ग्रामीणों को सड़क की आस थी, जो कभी पूरी ही नहीं हो सकी. ग्रामीणों की मानें तो गांव में कुछ भी सुविधाएं नहीं हैं. स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण पलायन कर चुके हैं. अगर गांव तक सड़क आ जाती तो ग्रामीण पलायन नहीं करते. इस गांव की हालत को देखकर आश्चर्य होता है. गांव आज जंगल में तब्दील हो चुका है. घरों में जहां ताले लटके हुए हैं तो कई घर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. गांव अब जंगली जानवरों को आशियाना बन गया है.
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वहीं, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि भूमरागढ़-पौड़ीखाल मोटरमार्ग स्वीकृति के लिए फाइल शासन में भेजी गई है. इस मोटरमार्ग निर्माण से गांव को जोड़ने के प्रयास किया जायेगा. साथ ही गांव में एक टीम भेजी जायेगी जो पलायन को लेकर विस्तृत सर्वे रिर्पोट प्रस्तुत करेगी कि आखिर किन कारणों से गांव खाली हुआ है.