रुद्रप्रयाग : पहाड़ में दम तोड़ते पौराणिक घराट अब पुनर्जीवित होने लगे हैं. इन घराटों के महत्व को युवा पीढ़ी समझ रही है, और इसे रोजगार का अब जरिया बना रहे हैं. पौराणिक काल में घराट पर ही गेूहं को पिसा जाता था. यह पानी से चलने वाली चक्की है और इससे पिसा गया गेहूं खाने में भी काफी स्वादिष्ट होता है. घराट के आटे की इंटरनेशनल डिमांड है. इस आटे को कोल्ड प्रेस की कैटेगरी में जाना जाता है और स्वास्थ्य की दृष्टि से यह काफी लाभदायक है.
गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते प्रदेश में हजारों लोगों ने रिवर्स पलायन किया है. वहीं, स्कूल बंद होने के चलते स्कूली छात्र घर पर बैठे है. रोजगार को लेकर युवा भटक रहे हैं. जबकि, कुछ युवा ऐसे भी हैं जो अपनी पौराणिक परंपराओं का निर्वहन करके उन्हें रोजगार का जरिया बना रहे हैं. जिले के रानीगढ़ पट्टी और सिलगढ़ पट्टी में युवा पौराणिक घराट को पुनः जीवित करने में लगे हुए हैं. उन्हें यह घराट चलाना काफी पसंद आ रहा है. इसमें बिजली का कोई प्रयोग नहीं किया जाता है और इससे गेहूं को आसानी से पीसा जाता है. आमदमी के मामले में घराट काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा है, जिससे युवा इसे रोजगार से जोड़कर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला रहे हैं.
जिले में हजारों युवा कोरोना वायरस के चलते अपने शहरों से गांव की तरफ पलायन कर अपने गांव लौटे हैं. ये युवा सरकारी विभागों से लेकर प्राईवेट कंपनियों के चक्कर लगा रहे हैं, और रोजगार की तलाश में जुटे हुए हैं, मगर कुछ युवा अपनी विरासत को संभालने का काम करने लगे हैं और दूसरों के लिए मिसाल बने हुए हैं. पहाड़ी जिलों में कृषि, पशुपालन, डेयरी से रोजगार चलाया जा सकता है. इसके अलावा यहां कोई ऐसा साधन नहीं है, जिससे लोग अपनी आजीविका को सुधार सकें. खेती करने में युवाओं की कोई खास दिलचस्पी नजर नहीं आ रही है, जबकि कुछ युवा ऐसे भी हैं जो बकरी, भेड़, मुर्गी पालन को पसंद कर रहे हैं और कुछ ऐसे है जो गाय, भैंस को रोजगार का जरिया बना रहे हैं, मगर इन सबसे अलग ऐसे युवा भी हैं जो अपनी हजारों वर्षों पुरानी विरासत को फिर से पुनजीर्वित करने में लगे हुए हैं और अन्य लोगों के लिए भी मिसाल बन रहे हैं.
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दरअसल , रानीगढ़ पट्टी निवासी पर्यावरण प्रेमी देव राघवेन्द्र बद्री ने बताया कि पौराणिक घराट का काफी महत्व है. यह रोजगार के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है. इस पर बिजली का कोई खर्चा नहीं है, जबकि पानी से चलने वाला इस यंत्र से लोगों को भी काफी फायदे मिलेंगे. उन्होंने बताया कि पौराणिक काल में घराट में पिसा गेंहू और मंडवा पीसा जाता है. पहले के लोग काफी चुस्त दुरूस्त रहते थे, मगर अब बिजली के मशीनों से पीसा जा रहा गेहूं नुकसानदायक है.