रुद्रप्रयाग: जिले की एक बेटीबीना नेगी मिश्रने उत्तराखण्ड में शिक्षा, पलायन और रोजगार जैसी समस्याओं से दो-दो हाथ करने की ठानी है. बीना नेगी मिश्र ने अपने तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर ‘हमारा गांव-घर फाउंडेशन’ नामक संस्था बनाकर उसके तहत उत्तराखंड में ऐसे नए विकसित थीम गांव तैयार करने का बीड़ा उठाया है. जहां विकसित शहरों के जागरूक लोगों को आकर्षित कर रोजगार और शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके. अपने कार्य की शुरुआत उन्होंने रुद्रप्रयाग जिले के मणिगुह गांव से की है. जिसे वह भारत का पहला पुस्तकालय गांव बनाने के प्रयास में जुटी हैं. पुस्तकालय का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है. 26 जनवरी गणतंत्र दिवस एवं बसंत पंचमी के शुभ दिन पर पुस्तकालय का विधिवत उद्घाटन किया जाएगा.
अगस्त्यमुनि न्याय पंचायत के दूरस्थ गांवबांजगड्डू की बीना नेगी मिश्र एमबीए करने के बाद दिल्ली की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत थीं, मगर वह अपने गांव को नहीं भूल पाई. जिस गांव ने उन्हें इतना सब कुछ दिया उसके लिए कुछ कर गुजरने के संकल्प के साथ वह नौकरी छोड़कर वापस गांव आ गई. इसमें उनका साथ उनके पति सुमन मिश्र ने दिया. वे रेख्ता फाउंडेशन के उपक्रम सूफीनामा में संपादक के पद पर कार्यरत हैं.
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कई महीनों की लम्बी चर्चाओं, यात्राओं और मित्रों से बातचीत के बाद तय हुआ कि उत्तराखंड के जिस गांव में मूलभूत सुविधाओं और शिक्षा का अभाव है, वहां जाकर कार्य किया जाये. यहीं से नींव पड़ी ‘हमारा गांव-घर फाउंडेशन‘ की. इसमें आलोक सोनी एवं राहुल रावत नाम के दो युवा भी जुड़े. राहुल रावत दिल्ली की एक सीए फर्म में कार्यरत हैं. वे चमोली जिले के निवासी हैं. वहीं, आलोक सोनी जाने माने फोटोग्राफर हैं. चारों युवाओं ने तय किया कि उत्तराखण्ड के गांवों को थोड़ा मेहनत कर थीम गांव में विकसित किया जा सकता है. इसके लिए बीना नेगी मिश्र के पैत्रिक गांव से कुछ दूरी पर स्थित मणिगुह गांव को चुना.
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मणिगुह गांव को राज्य का पहला पुस्तकालय गांवबनाया जा रहा है. यहां एक सेंट्रल लाइब्रेरी के अलावा जगह जगह पढ़ने की व्यवस्था होगी. सेंट्रल लाइब्रेरी में दुर्लभ किताबें और कुछ पाण्डुलिपियां भी उपलब्ध होंगी. हर घर में जरूरी किताबें होंगी. बच्चों को स्मार्ट क्लास के अलावा कम्प्यूटर की शिक्षा भी दी जायेगी. इस पुस्तकालय में विभिन्न विषयों पर किताबों के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए जरूरी पाठ्य पुस्तकें भी उपलब्ध होंगी. चूंकि उत्तराखंड तीर्थों की भूमि है, इसलिए इन युवाओं ने इस गांव में पुस्तकालय को घर-घर पहुंचाने के लिए पुस्तक मंदिरों की योजना भी बनाई है, जो भारत में अपनी तरह का पहला प्रयास है.
इन छोटे मंदिरों में पुस्तकें रखी जायेंगी. इन्हें रीडिंग स्पॉट की तरह उपयोग में लाया जायेगा. ये मंदिर भी दिसंबर तक बनकर तैयार हो जायेंगे. इस प्रकार पुस्तकालय गांव को एक पुस्तक तीर्थ की तरह विकसित किया जाएगा, जो पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण होगा. बीना नेगी मिश्र ने बताया उन्हे यह प्रेरणा महाराष्ट्र में स्थित पुस्तकांचे गांव से मिली. जहां इस गांव को पुस्तकों का गांव बनाया गया है. गांव में पुस्तकालयों का निर्माण कोई नई बात नहीं है, लेकिन इससे यहां के बच्चों, युवाओं ओर बुजुर्गों का लगाव नगण्य होता है. पढ़ना एक संस्कृति है, जो धीरे-धीरे विकसित होती है. जब पुस्तकालय आपके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाये और लोग आपको इस नाम से जोड़कर देखने लगें तब यह संभावना थोड़ी बढ़ जाती है.
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मणिगुह गांव में बनने वाले पुस्तकालय का शिलान्यास 28 अक्टूबर 2022 को गांव के कुछ लोगों और शिक्षकों ने किया. पुस्तकालय में विभिन्न विषयों और भाषाओं की चार हजार किताबें अभी उपलब्ध हैं, जिनकी संख्या में वृद्धि जारी है. इस गांव का औपचारिक उद्घाटन बसंत पंचमी को होना निश्चित हुआ है. उद्घाटन अवसर पर तीन दिनों का कार्यक्रम रखा गया है. 26 जनवरी को उद्घाटन समारोह, ग्राम भ्रमण एवं लोक नाटक की डिजिटल प्रस्तुति, 27 जनवरी को कवि सम्मेलन एवं परिचर्चा के साथ ही संतोष रावत की शॉर्ट फिल्म पाताल ती की प्राइवेट स्क्रीनिंग, 28 जनवरी को मणिगुह से कार्तिक स्वामी 9 किमी पैदल ट्रैकिंग तथा रात्रि विश्राम कार्तिक स्वामी तथा 29 जनवरी को पुस्तकालय गांव मणिगुह में वापसी होगी.