रुद्रप्रयागः पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली (Lord Madhyamaheshwar doli) अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple) उखीमठ में विराजमान हो गई है. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पुण्य के भागीदार बने. इस दौरान श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर डोली का स्वागत किया. वहीं, शुक्रवार से भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी.
आज मद्महेश्वर घाटी (Madhyamaheshwar Valley) के गिरीया गांव में प्रधान पुजारी शिव लिंग ने ब्रह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत भगवान मद्महेश्वर समेत 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान किया और आरती उतारी. उसके बाद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह मूर्तियों के निर्वाण दर्शन कर विश्व कल्याण की कामना की. इसके बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई. जहां फापंज, सलामी यात्रा पड़ावों पर ग्रामीणों ने अनेक प्रकार की पूज्यार्थ सामाग्रियों से अर्घ्य लगाकर मनौती मांगी.
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विभिन्न पड़ावों से होते हुए भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली मंगोलचारी पहुंची. जहां राॅवल भीमाशंकर लिंग के प्रतिनिधि केदार लिंग, सैकड़ों श्रद्धालुओं, मराठा रेजिमेंट और स्थानीय वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों से डोली की अगुवाई की गई. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के मंगोलचारी पहुंचने पर पूरा इलाका बाबा मद्महेश्वर के जयकारों से गुंजायमान हो उठा. पौराणिक परंपराओं के अनुसार मंगोली के ग्रामीणों ने भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को सामूहिक अर्घ्य अर्पित किया और केदार लिंग ने डोली पर सोने का छत्र चढ़ाकर क्षेत्र के खुशहाली की कामना की.
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