रुद्रप्रयाग: केदारनाथ आने वाले भक्त अक्सर बाबा केदार की ही पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन अधिकांश भक्तों को यह पता नहीं है कि केदार बाबा की पूजा-अर्चना से पहले केदारनाथ के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ की पूजा का विधान है. केदारनाथ धाम से आधा किमी दूर स्थिति भैरव बाबा के कपाट जब तक नहीं खुलते हैं, तब तक केदार बाबा की आरती नहीं होती है और न ही भोग लगता है. जब केदारनाथ धाम के कपाट बंद होते हैं और केदारनाथ में कोई नहीं रहता है तो भैरवनाथ ही सम्पूर्ण केदारनगरी की रक्षा करते हैं.
बता दें कि, केदारनाथ मंदिर से आधा किमी की दूरी पर प्रसिद्ध भैरवनाथ का मंदिर स्थित है. केदारनाथ जाने वाले अधिकांश श्रद्धालु भैरवनाथ के दर्शनों को भी जाते हैं. केदारनाथ भगवान की पूजा-अर्चना से पहले भगवान भैरवनाथ की पूजा का विधान है. भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से जब बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सह डोली केदारनाथ धाम के लिए रवाना होती है तो उससे एक दिन पूर्व भगवान भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान केदार की डोली के केदारनाथ धाम पहुंचने के बाद मंदिर के कपाट तो खोले जाते हैं, लेकिन केदारनाथ की आरती और भोग तब तक नहीं लगता है जब तक भैरवाथ के कपाट न खोले जाएं.
भैरवनाथ भगवान के कपाट सिर्फ मंगलवार या फिर शनिवार को ही खोले जाते हैं. केदारनाथ के मुख्य पुजारी की ओर से ही भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है. जब भैरवनाथ भगवान के कपाट खोले जाते हैं, उसके बाद ही भगवान केदारनाथ की आरती, श्रृंगार और भोग लगता है. इसके अलावा केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने से पहले भगवान भैरवनाथ के कपाट बंद किए जाते हैं.