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अलकनंदा-मंदाकिनी के संगम पर बसा है ये शहर, यहां पीने के पानी में निकल रहे कीड़े-मकोड़े - रुद्रप्रयाग न्यूज़

एक ओर जिले की जनता में कोरोना वायरस के कारण डर बना हुआ है और लोगों को घर में रहने की सलाह दी जा रही है. वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं को दूषित पानी सप्लाई करके उन्हें बीमार किया जा रहा है. ऐसे में उपभाक्ताओं में जल संस्थान विभाग के खिलाफ भारी आक्रोश बना हुआ है.

rudraprayag news
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Published : Apr 26, 2020, 7:39 PM IST

Updated : Apr 26, 2020, 11:09 PM IST

रुद्रप्रयाग: अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के संगम पर बसा है रुद्रप्रयाग शहर. फिर भी नगर क्षेत्र की जनता सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण दूषित पानी पीने को मजबूर है. आलम यह है कि पहली ही बारिश होने पर नगर क्षेत्र के बीचों-बीच बह रहे गदेरे के पानी का रंग बदल गया है और विभागीय लापरवाही के कारण बिना फिल्टर किए पानी को उपभोक्ताओं को सप्लाई किया जा रहा है. ऐसे में लोगों में बीमारी की आशंका भी बनी हुई है.

जिला मुख्यालय होने के बावजूद रुद्रप्रयाग शहर में पेयजल की समस्या को लेकर कोई ठोस कार्य योजना नहीं बनाई गई है. साल भर पानी के साथ कंकड़ व बजरी आने का सिलसिला बना रहता है, लेकिन बारिश के दिनों में कीड़े व मिट्टी के रंग के पानी की कई दिनों तक आपूर्ति होती है. 15 हजार की जनसंख्या वाले रुद्रप्रयाग शहर में आज तक दूषित पानी की समस्या को दूर नहीं किया जा सका है.

यहां पीने के पानी में निकल रहे कीड़े-मकोड़े

जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और विभागीय अभियंताओं की लापरवाही के कारण नगरवासी परेशान हैं. रुद्रप्रयाग शहर बदरी-केदार यात्रा का मुख्य केंद्र बिंदु होने के साथ ही जिला मुख्यालय भी है. वर्तमान में शहर के लिए पुनाड़ गदेरे पर बने स्रोत से पानी की आपूर्ति होती है.

वर्ष 2013 में जल संस्थान ने मुख्य स्रोत पुनाड़ गदेरे पर लगभग 80 लाख रुपये खर्च कर यहां फिल्टर लगाया. लेकिन फिल्टर की कम क्षमता होने से यह पानी को पूरी से फिल्टर नहीं कर पा रहा है. जल संस्थान के अभियंताओं की मानें तो स्रोत पर लगे फिल्टर की क्षमता प्रतिदिन दस लाख लीटर की है. जबकि आपूर्ति तीस लाख लीटर की हो रही है. ऐसे में तीन गुना अधिक पानी की आपूर्ति होने से पानी शुद्ध नहीं हो पा रहा है.

एडवोकेट राजीव भंडारी ने बताया कि नगर में फिल्टर व्यवस्था होने के बाद भी बारिश के दौरान अधिकांश समय गंदे पानी की आपूर्ति बनी रहती है. नगर में लाखों रुपए फिल्टर पर खर्च होने के बाद भी शहर में गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है. जिससे कई बीमारियों का खतरा बना रहता है.

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जल संस्थान के सहायक अभियंता रेवत सिंह रावत का कहना है कि पुनाड़ गदेरे के ऊपर से मोटरमार्ग कटिंग का काम चल रहा है और बारिश होने पर मलबा सीधे पुनाड़ गदेरे में आ रहा है. जिस कारण गदेरे का पानी गंदा हो गया है. यह फिल्टर को भी खराब कर सकता है. ऐसे में पेयजल लाइन को फिल्टर से हटाया गया है. पानी साफ होने पर गदेरे को पुनः फिल्टर से जोड़ा जायेगा.

Last Updated : Apr 26, 2020, 11:09 PM IST

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