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रैणी के बाद रुद्रप्रयाग के इस गांव पर बड़ा खतरा, चेते नहीं तो मिट जाएगा नामो निशान

सुरक्षा दीवार निर्माण न होने से सेमी गांव में खतरा बना हुआ है. एलएंडटी कंपनी की लापरवाही ग्रामीणों पर भारी पड़ रही है.

semi village
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Published : Feb 19, 2021, 12:53 PM IST

Updated : Feb 19, 2021, 1:05 PM IST

रुद्रप्रयागः तपोवन रैणी गांव की त्रासदी को देखकर अब भूस्खलन प्रभावित सेमी गांव के पीड़ित भी खौफजदा हो गये हैं. पीड़ितों ने प्रशासन से शीघ्र मंदाकिनी नदी के तट पर सुरक्षा दीवार निर्मित करने की मांग की है.

साल 2013 को आई केदारनाथ आपदा के बाद से सेमी गांव भूस्खलन की जद में है. उस आपदा में गांव के दर्जन भर से अधिक आवासीय भवन और लाॅज ढह गए थे. कई आवासीय भवनों में मोटी-मोटी दरारें आ चुकी हैं. जियोलाॅजिकल सर्वे ने भी सेमी गांव को अतिसंवेदनशील जोन में चिन्हित किया है.

ऐसे में यहां पर अब आवास बनाना या रहना मौत को गले लगाने के समान है. आपदा के दौरान ही सेमी गांव में लगभग दो सौ मीटर मोटरमार्ग जमींदोज हो गया था. गत आठ वर्षों में इस क्षतिग्रस्त मोटर मार्ग के दुरुस्त करने में विभाग द्वारा करोड़ों की धनराशि खर्च की गई, लेकिन स्थितियां अभी भी विकट बनी हैं.

सेमी गांव की एक तस्वीर.

सेमी गांव के अधिकांश भवन और भूमि लगातार धंस रही है. सरकार ने गांव की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रत्येक पीड़ित परिवार को चार लाख की धनराशि मुहैया करवा दी है. साथ ही उन्हें सेमी धार में सुरक्षित स्थान पर जाने के लिये निर्देशित भी किया है. 99 मेगावाट की सिंगोली भटवाड़ी जल विद्युत परियोजना की कार्यदायी संस्था एलएंडटी द्वारा कुंड बैराज पर पावर हाउस का निर्माण किया गया है.

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आगामी दिनों में कम्पनी इस प्रोजेक्ट को सरकार को हस्तांतरित कर देगी, लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि कुंड बैराज जहां पर पानी का जलस्तर काफी बढ़ गया है. इसके किनारों पर सुरक्षा दीवार ना होने से क्या यह योजना भविष्य में क्षेत्र के लिये मुफीद सिद्ध होगी? सरकार की आय तो बढ़ेगी, लेकिन स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा क्या प्रभावी कदम उठाये जा रहे हैं?

व्यापार संघ अध्यक्ष गुप्तकाशी और पीड़ित मदन सिंह रावत का कहना है कि सेमी गांव का अस्तित्व कभी भी समाप्त हो सकता है. सरकार या कार्यदायी संस्था जनता के लिए दोहरे मापदंड अपना रही है. एक ओर सेमी गांव की अतिसंवेदनशीलता को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग को ल्वारा से गुप्तकाशी के लिए डायवर्ट कर दिया गया है तो वहीं स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भवन बनाने के लिए चार-चार लाख की धनराशि आवंटित की गई है.

सामाजिक कार्यकर्ता भारत भूषण नेगी ने कहा कि मंदाकिनी नदी के तट पर जो भी सुरक्षा दीवार निर्मित की गई है. वो कई स्थानों से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. कई स्थानों पर अभी भी सुरक्षा दीवार निर्मित नहीं है, जिस कारण कभी भी निकटस्थ तोक या भूमि धंस सकती है. उन्होंने कहा कि गत दिनों उपजिलाधिकारी ऊखीमठ और कम्पनी के आला अधिकारियों के बीच स्थानीय लोगों के समक्ष यह तय किया गया था कि सेमी गांव के अस्तित्व और डैम की मजबूती के लिए मंदाकिनी नदी के तट पर मजबूत सुरक्षा दीवार निर्मित की जायेगी.

लेकिन अब कम्पनी अपने वायदे से मुकर रही है. भरत भूषण के मुताबिक, कम्पनी का कहना है कि सुरक्षा दीवार के लिए कई पेड़ों का कटान किया जायेगा, जो पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं है. मगर कई स्थानों पर तो पेड़ ही नहीं है. महज खुदाई करके दीवार निर्मित की जा सकती है, लेकिन कम्पनी अपने फायदे के लिए गांव के अस्तित्व के साथ खिलवाड़ कर रही है. वहीं एलएंडटी के अधिकारियों का कहना है कि भूवैज्ञानिक सर्वे के अनुसार सेमी गांव की मुख्य बस्ती भौगोलिक रूप से स्थिर नहीं है. ऐसे में आरसीसी भूमि पर स्थिर नहीं होगी.

Last Updated : Feb 19, 2021, 1:05 PM IST

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