रुद्रप्रयाग: ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान भैरवनाथ की विशेष पूजा-अर्चना के साथ केदार यात्रा का आगाज हो गया है. केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग एवं अन्य पुजारियों की मौजूदगी में भगवान भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की गई. केदारनाथ की डोली रवाना से पूर्व ऊखीमठ में भगवान भैरवनाथ की विशेष पूजा की परंपरा है. इसके बाद ही भगवान केदारनाथ के कपाट खोलने की तैयारियों का शुभारंभ होता है.
परंपरा के मुताबिक प्रतिवर्ष चल विग्रह उत्सव डोली केदारनाथ धाम रवाना करने से पूर्व संध्या पर भैरवनाथ की विशिष्ट पूजा-अर्चना की जाती है. बाबा भैरवनाथ मंदिर में केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग द्वारा भैरवनाथ का दूध, दही, घी और शहद से महाभिषेक किया गया.
इसके साथ ही बुरांश के फूल की माला, जौ की हरियाली से बाबा की मूर्ति का श्रृंगार किया गया. नए गेहूं के आटे की पूड़ी और पकौड़ों की माला बाबा को भोग स्वरूप चढ़ाया गया. इसके साथ ही वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अष्टादश आरती से बाबा की आराधना की गई.
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भैरवनाथ को केदारनाथ का आगवानी वीर कहा जाता है. यात्रा निर्विघ्नता पूर्वक संपन्न हो, क्षेत्र में सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है. इस बार कोरोना महामारी के चलते प्रशासन के निर्देशों के मुताबिक पूजा में केवल पुजारी और वेदपाठी ही शामिल रहे. बाबा भैरवनाथ की पूजा-अर्चना के बाद बाबा केदार की पंचमुखी डोली रविवार को ऊखीमठ से केदारधाम के लिए रवाना होगी. वैदिक मंत्रोचार और विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद बाबा केदार की डोली ऊखीमठ से रवाना होगी.
पहले दिन डोली गौरीकुंड में रात्रि विश्राम करेगी. कोरोना संक्रमण के चलते डोली को गाड़ी से एक ही दिन में गौरीकुंड पहुंचाया जाएगा. इस बार कोरोना संक्रमण के चलते डोली के साथ लोगों को जाने की अनुमति नहीं दी गई है. सिर्फ पुजारियों और वाद्य यंत्रों को बजाने वालों के लिए ही पास जारी किए गए है.
27 अप्रैल को डोली पैदल मार्ग होते हुए रात्रि विश्राम के लिए भीमबली पहुंचेगी और 28 अप्रैल को डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी. 29 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर बाबा केदार के कपाट खोले जाएंगे. इस साल कोरोना महामारी के चलते सामान्य दर्शनों पर रोक लगाई गई है.