रुद्रप्रयाग:इस साल केदारनाथ यात्रा में भले ही रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं लेकिन इस बार की यात्रा विवादों में घिरती नजर आ रही है. केदारनाथ पैदल मार्ग पर संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों पर गद्दी लगाने के नाम पर घोड़ा-खच्चर संचालकों से पैसे मांगने, सोनप्रयाग पार्किंग में अवैध रूप से बिस्तर यात्रियों को किराये पर देने और केदारनाथ हाईवे किनारे वाहन रोककर उनसे पार्किंग शुल्क के नाम पर मनमानी धनराशि रूप में वसूले जाने के मामले सामने आये हैं. अधिकांश मामलों में जिला पंचायत और प्रशासन का हस्तक्षेप है. ऐसे में कहीं न कहीं सवाल उठने लाजमी हैं.
विश्व विख्यात केदारनाथ यात्रा में सबसे बड़ा मुद्दा केदारनाथ धाम के लिये गौरीकुंड से संचालित होने वाले घोड़ा-खच्चरों से उठा है. शुरूआती चरण में गौरीकुंड से धाम के लिये 8 हजार से अधिक घोडे़-खच्चरों का संचालन हो रहा थाय इस बीच जिला पंचायत, प्रशासन और केदारनाथ तीर्थ यात्री सेवा समिति के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के अनुसार प्रत्येक घोड़े-खच्चर पर एक गद्दी लगायी जानी थी, जिससे यात्रियों को बैठने में आराम मिले.
समिति ने गद्दियां मंगवाईं लेकिन मामला तब बढ़ गया जब प्रत्येक घोड़े-खच्चर से गद्दी के नाम पर प्रत्येक दिन चालीस रुपये वसूले जाने लगे. यह 40 रुपये केदारनाथ से आने-जाने वाले प्रत्येक घोड़े-खच्चर संचालक से लिये जा रहे थे. 40 रुपये में 10 रुपये जिला पंचायत, 5 रुपये प्रशासन और 25 रुपये समिति को जा रहे थे. मामला सोशल मीडिया में उठने के बाद घोड़े-खच्चरों से पैसा लिया जाना बंद कर दिया गया.
अब सवाल यह उठता है कि अगर गद्दी के पैंसे सही रूप से लिये जा रहे थे तो फिर मामला उठने के बाद गद्दी के पैसे लिये जाना क्यों बंद किया गया? इसके अलावा यात्रा के शुरुआती चरण में प्रत्येक दिन हजारों वाहन केदारघाटी में आ रहे थे. सोनप्रयाग और सीतापुर की पार्किंग भी फुल थी. ऐसे में वाहनों को पार्क करने के लिये केदारनाथ हाईवे किनारे चौड़े स्थानों को चिन्हित किया गया. इसके लिये जिला पंचायत ने टेंडर भी निकाले लेकिन बात तब बढ़ गई जब हाईवे किनारे पार्क किये गये वाहनों से 50 रुपये पार्किंग शुल्क लिये जाने के बजाय 200 रुपये से अधिक का शुल्क लिया गया. यहां भी मामला उठने के बाद इस टेंडर को निरस्त किया गया.
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सोनप्रयाग पार्किंग का जिला पंचायत रुद्रप्रयाग ने टेंडर निकाला था. इस टेंडर को एक ठेकेदार ने लगभग 88 लाख की लागत से खरीदा था. जीएसटी लगाकर ठेकेदार को एक करोड़ चार लाख का भुगतान करना है. सोनप्रयाग पार्किंग का निर्माण कार्य अभी चल रहा है. पार्किंग के ऊपर हॉल (बड़े कमरे) बने हुये हैं. इन हॉल में दुकान, टिकट काउंटर आदि का संचालन आगामी वर्षों से होना है लेकिन इस बार एक जनप्रतिनिधि ने इन हॉल में बिस्तर लगा दिये और यात्रियों को सुला दिया, जिस कारण सोनप्रयाग के व्यापारी भड़क गये और व्यापारियों ने एक दिन सोनप्रयाग बाजार बंद भी कर दिया.
पार्किंग के जिन हॉल में बिस्तर लगाये गये थे, वह हॉल अभी प्रशासन के अधीन भी नहीं हुए हैं. ऐसे में अपनी मर्जी से बिस्तर लगाकर यात्रियों का सुलाना गलत था. यह मामला भी जब सोशल मीडिया के जरिये सामने आया और व्यापारियों ने हल्ला किया तो फिर बिस्तर लगाना बंद किया गया. कुल मिलाकर देखा जाय तो शुरुआती चरण में ही केदार यात्रा विवादों से घिरती नजर आ रही है.
ये तीन मामले ऐसे हैं, जिन्होंने प्रशासन व जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगाये हैं. जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के अनुसार गद्दी वाले मामले की जांच पूरी कर ली गई है, जबकि अन्य मामलों में भी जांच की जा रही है.