रुद्रप्रयाग:केदारनाथ में आये जल प्रलय को 6 साल पूरे हो गए हैं. आज केदारनाथ आपदा की बरसी है और आपदा के इतने साल बीत जाने के बाद अब जाकर कही स्थानीय लोगों, व्यापारियों एवं तीर्थ पुरोहित समाज के चेहरों पर मुस्कान लौटी है. केदारनाथ में आपदा से पहले जैसा खुशनुमा माहौल घाटी में था वैसा ही अब दोबारा से बनता जा रहा है. देखें ये रिपोर्ट
उत्तराखंड में साल 2013 के 16 और 17 जून की विनाशकारी आपदा को शायद ही कोई भूला होगा. यह देश की सबसे बड़ी त्रासदी थी, जिसमें मरने वालों का सही आंकड़ा अबतक पता नहीं चल पाया है. आपदा का असर केदारधाम से रुद्रप्रयाग मुख्यालय तक देखने को मिला था. इस आपदा के दौरान पांच हजार से ज्यादा लोगों की मौत होने के साथ ही हजारों का रोजगार छिन गया था. त्रासदी की वजह से पूरी केदार घाटी उजड़ गई थी, यहां रहने वाले सैकड़ों लोग अपना आशियाना खो बैठे थे.
धाम को दोबारा बसाने की चुनौती
घाटी में हुए प्राकृतिक विनाश के बाद पहली प्राथमिकता केदारनाथ धाम को बसाने की थी. इस दौरान मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को जिम्मेदारी सौंपी गई. उनके कार्यकाल में नेहरू पर्वता रोहण संस्थान के कर्नल अजय कोठियाल के नेतृत्व में सोनप्रयाग से गौरीकुण्ड पैदल मार्ग और फिर गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम तक पैदल मार्ग बनाया गया. इसके बाद रामबाड़ा से नया पैदल मार्ग तैयार किया गया, जिससे धाम की दूरी दो किमी बढ़ गई. वहीं, एमआई 17 हेलीपैड का निर्माण, हेलीपैड से मंदिर तक रास्ते का निर्माण के साथ ही मंदिर के चारों ओर थ्री डी सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया.
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मोदी सरकार ने शुरू किया ड्रीम प्रोजेक्ट
साल 2014 में केन्द्र में मोदी सरकार के आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केदारधाम पहुंचे तो उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत धाम में पांच कार्य शामिल किये. इसमें मंदिर से सरस्वती नदी पुल तक बने गोल चबूतरे तक पैदल मार्ग को पचास फीट चौड़ा करना शामिल था, जिससे दूर से ही श्रद्धालुओं को भगवान केदारनाथ के दर्शन हो रहे हैं. इसके अलावा मंदाकिनी नदी पर सुरक्षा दीवार, सरस्वती नदी में घाट व सुरक्षा कार्य, तीर्थ पुरोहितों के भवनों का कार्य व शंकराचार्य की समाधि स्थल का कार्य भी शामिल है.
ड्रीम प्रोजेक्ट के दो कार्य पूरे
- केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत पांच कार्य हो रहे हैं, इनमें से दो कार्य पूरे हो चुके हैं.
- ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत मंदाकिनी नदी पर सुरक्षा दीवार का कार्य 56 करोड़ की लागत से किया गया कार्य पूरा हो गया है.
- मंदिर परिसर से सरस्वती पुल के ऊपर तक बने चबूतरे तक रास्ते को पचास मीटर चौडा करने का काम भी पूरा हो गया है, जिसकी लागत 25 करोड़ के लगभग है.
- सरस्वती नदी में घाट व सुरक्षा कार्य दिसम्बर माह तक पूरा हो जायेगा. इस कार्य की लागत 26 करोड़ है.
- चौथा कार्य के तहत तीर्थ पुरोहितों के भवनों का कार्य होना है.
- 73 तीर्थ पुरोहितों में इन भवनों को बांटा जाना है. इसकी लागत 25 से 30 करोड़ के बीच है.
- पांचवा कार्य शंकराचार्य समाधिस्थल है. यह कार्य 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
इस साल जनवरी से अप्रैल माह तक बर्फवारी और बारिश के कारण धाम में कोई विकास कार्य नहीं हो पाया. सभी कार्यों की लागत डेढ़ सौ करोड़ के करीब है. यह लागत अब बढ़ भी सकती है.
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दो पुलों का होना है निर्माण
- केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के अलावा अन्य कार्यों को भी किया जाना है. इसमें सरस्वती नदी से भैरवनाथ मंदिर को जोड़ने वाले पुल का निर्माण शामिल है.
- इसके अलावा गरूड़ चट्टी के लिए भी पुल का निर्माण कार्य किया जायेगा.
- केदारनाथ में व्यापारियों की पचास दुकानों का निर्माण भी होना है.
- मंदिर मार्ग निर्माण में क्षतिग्रस्त भवनों का कार्य भी होना है.
- केदारनाथ मंदिर के पीछे सेंटर प्लाजा भी बनाया जाएगा. इसके लिए सर्वे और भवन स्वामियों से बात होनी है.
- माना जा रहा है कि अलगे यात्रा सीजन तक केदारनाथ में अधिकतर कार्य पूरे हो जायेंगे.
- केदारनाथ में डीडीएमए, सिंचाई विभाग केदारनाथ, जिंदल ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज पुनर्निर्माण कार्यों में जुटी है.