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तीर्थ पुरोहितों ने दी केदारनाथ धाम में आंदोलन की चेतावनी, शीतकाल में निर्माण कार्य बंद कराये जाने की मांग

protest against reconstruction works in Kedarnath Dham केदारनाथ धाम में शीतकाल में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का तीर्थ पुरोहितों ने विरोध किया है. इस मामले में केदार सभा के पदाधिकारियों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है. साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती तो वो केदारनाथ धाम में आंदोलन भी करेंगे.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 20, 2023, 6:33 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में शीतकाल में पुनर्निर्माण कार्यों को बंद करने की मांग को लेकर एक बार फिर से केदार सभा ने प्रशासन को चेतावनी दी है. केदार सभा ने शीतकाल में पुनर्निर्माण कार्य बंद करने की मांग को लेकर रुद्रप्रयाग प्रशासन को ज्ञापन भी दिया है. साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि उनकी मांग पर विचार नहीं किया गया तो वो कोर्ट में जाएंगे और केदारनाथ धाम में आंदोलन भी करेंगे.

केदार सभा का कहना है कि केदारनाथ धाम में शीतकाल में निर्माण कार्य चलते रहना अनुचित एवं परम्पराओं के विरूद्ध है. यदि केदारपुरी में निर्माण कार्य शीतकाल में बंद नहीं किए किए, तो उन्हें मजबूरन आंदोलन के लिए बाध्य होना पडे़गा. केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने एसडीएम को दिए ज्ञापन में कहा कि केदारनाथ धाम पर्यावरण की दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील स्थान है. यात्रा काल के पश्चात शीतकाल में धाम में निर्माण कार्य चलते रहना अनुचित एवं परम्पराओं के विरूद्ध है, इसलिए पुनर्निर्माण कार्यों पर शीतकाल में विराम लगना चाहिए.
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उनका कहना है कि तीर्थ पुरोहितों ने पुनर्निर्माण कार्यों में सदैव ही सरकार का साथ दिया है, लेकिन कतिपय पुरोहितों को न्यायालय का हवाला देकर जबरन निर्माण के लिए अनुबंध हस्ताक्षरित कराए जा रहे हैं. केदार सभा की ओर से विभिन्न अवसरों पर मौखिक और लिखित रूप से आपत्ति की जा चुकी है. जबरन किसी से अनुबंध हस्ताक्षरित न कराए जाएं.

केदारनाथ में निर्माणाधीन भवनों की अत्यधिक ऊंचाई के विरोध में कई अवसरों पर अपना पक्ष रखा जा चुका है, धाम की भौगौलिक परिस्थितियां चार मंजिला भवन निर्माण की अनुमति नहीं देती हैं और ना ही मंदाकिनी नदी के घाट या तटों पर बार-बार कटान करना उचित है. इसके भविष्य में गम्भीर परिणाम सामने आ सकती है. उन्होंने कहा कि उक्त मांगों पर शीघ्र कोई कार्रवाही नहीं होती है, तो उन्हें न्यायालय की शरण लेने और केदारनाथ धाम में आन्दोलन करने के लिए बाध्य होने को मजबूर होना पडे़गा.

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