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'महाकवि कालिदास की जन्मभूमि कविल्ठा' लघु पुस्तक का लोकार्पण

हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद श्रीनगर व महाकवि कालिदास जन्म भू-स्मारक समिति कविल्ठा के संयुक्त तत्वावधान में लघु पुस्तक महाकवि कालिदास की जन्मभूमि कविल्ठा का लोकार्पण किया गया. पुस्तक केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर की पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. उमा मैठाणी द्वारा लिखी गई है.

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Published : Mar 22, 2021, 11:14 AM IST

Great poet kalidas
महाकवि कालिदास

रुद्रप्रयागःकेंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर की पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. उमा मैठाणी द्वारा रचित लघु पुस्तक 'महाकवि कालिदास की जन्मभूमि कविल्ठा' का लोकार्पण हुआ. लोकार्पण कालीमठ घाटी के कविल्ठा में हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद श्रीनगर व महाकवि कालिदास जन्म भू-स्मारक समिति के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. इस दौरान जनप्रतिनिधियों, साहित्यकारों, पत्रकारों और ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

रुद्रप्रयाग में महाकवि कालिदास का कविताओं से बखान

लोकार्पण समारोह में श्रीनगर सहित विभिन्न क्षेत्रों से कविल्ठा पहुंचे कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से देवभूमि उत्तराखंड व महाकवि कालिदास की महिमा का गुणगान किया. लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए ऊखीमठ क्षेत्र के आचार्य घनानन्द मैठाणी ने कहा कि महाकवि कालिदास ब्रह्माण्ड के कवि रहे हैं. इसलिए उनकी जीवनी में जितना प्रकाश डाला जाए, उतना कम है. लघु पुस्तक की लेखक प्रो. उमा मैठाणी ने कहा कि यह मेरा छोटा सा प्रयास था. भविष्य में महाकवि कालिदास की जीवनी को गागर में सागर भरने के प्रयास किए जाएंगे. कालिदास जन्म भू-स्मारक समिति के अध्यक्ष बीरेंद्र सिंह रावत ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कालीमठ घाटी सदैव महान तपस्वियों की जननी रही है.

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लोकार्पण की अध्यक्षता राइंका कोटमा के प्रधानाचार्य संजीव कुमार गुप्ता व संचालन आचार्य सुरेशानन्द गौड़ ने किया. लोकार्पण समारोह में राजकीय हाईस्कूल कालीमठ की छात्राओं ने सरस्वती वन्दना, स्वागत गीत प्रस्तुत किए. लोकार्पण समारोह में गुप्तकाशी की कवियत्री उपासना सेमवाल, पौड़ी की कवियत्री ऋतु नेगी, श्रीनगर के कवि देवेंद्र उनियाल, पूर्व नगर पालिका अध्य्क्ष कृष्णानन्द मैठाणी, डाॅ. प्रकाश चमोली, डाॅ. विमल बहुगुणा, रेखा रावत नेगी, नीरज नैथाणी, बृजमोहन मेवाड़, अजय चौधरी ने अपने कविताओं के माध्यम से देवभूमि उत्तराखंड की महिमा व महाकवि कालिदास के जीवन पर गहनता से प्रकाश डाला.

इस मौके पर डाॅ.आरके थपलियाल, मदन लाल डंगवाल, सीता राम बहुगुणा डाॅ. विनीता चमोली, रक्षा उनियाल, प्रधान कविल्ठा, अरविंद राणा, त्रिलोक रावत, आशा सती, राकेश रावत, उपहार समिति अध्यक्ष विपिन सेमवाल, लक्ष्मण सिंह सत्कारी, मनवर चौहान, वेदपाठी रमेश चंद्र भट्ट, दलवीर सिंह तिन्दोरी, संदीप भट्ट, बलवंत रावत, बंशीधर गौड़, भागा देवी, कृपाल सिंह राणा सहित विभिन्न गांवों के जनप्रतिनिधि, साहित्यकार व ग्रामीण मौजूद रहे.

उत्तराखंड के कविल्ठा में जन्मे थे कालिदास

कालिदास का जन्म उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव में हुआ था. कालिदास ने यहीं अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी और यहीं पर उन्होंने मेघदूत, कुमारसंभव और रघुवंश जैसे महाकाव्यों की रचना की थी. कविल्ठा चारधाम यात्रा मार्ग में गुप्तकाशी में स्थित है. गुप्तकाशी से कालीमठ सिद्धपीठ वाले रास्ते में कालीमठ मंदिर से चार किलोमीटर आगे कविल्ठा गांव स्थित है. कविल्ठा में सरकार ने कालिदास की प्रतिमा स्थापित कर एक सभागार का भी निर्माण करवाया है, जहां पर हर साल जून माह में तीन दिनों तक गोष्ठी का आयोजन होता है, जिसमें देशभर के विद्वान भाग लेते हैं.

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