रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर धाम की ऊपरी पहाड़ी पर जल मोड़ नाली का निर्माण नहीं होने से बरसात के समय मंदिर परिसर में जल भराव की स्थिति बनी रहती है. इससे भारी नुकसान की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. जल मोड़ नाली के निर्माण के लिए स्थानीय व्यापारी व हक-हकूकधारी, शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं. लेकिन आज तक जल मोड़ नाली का निर्माण नहीं हो पाया है. केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग द्वारा समय-समय पर विभागीय निजी संसाधनों से जल मोड़ नाली की मरम्मत की जाती है. लेकिन बजट के अभाव में जल मोड़ नाली की सही तरीके से मरम्मत नहीं हो पा रही है.
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पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर का पावन धाम सीमान्त ग्राम पंचायत गौंडार से लगभग 10 किलोमीटर दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य और बूढ़ा मदमहेश्वर की तलहटी में बसा है. मदमहेश्वर धाम के ऊपरी हिस्से में पहाड़ी होने के कारण बरसात के समय पहाड़ी से बहने वाले पानी का वेग मदमहेश्वर धाम की ओर होने से मन्दिर परिसर में जल भराव होने का खतरा बना रहता है. कई सालों पहले केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग द्वारा मदमहेश्वर धाम के ऊपरी हिस्से में जल मोड़ नाली का निर्माण किया गया था. लेकिन संरक्षण के अभाव में जल मोड़ नाली धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो गई. इस साल वन विभाग द्वारा पुनः विभागीय निजी संसाधनों से जल मोड़ नाली का रख-रखाव किया गया. लेकिन बजट के अभाव में काम सही से नहीं हो पाया. आपको बता दें कि पिछले साल 20 जुलाई को मदमहेश्वर धाम की ऊपरी पहाड़ी पर मूसलाधार बारिश के कारण मंदिर परिसर में भारी जल भराव हो गया था. जिससे मदहेश्वर धाम में अफरा-तफरी का माहौल हो गया था.