रुद्रप्रयाग: अपने खुशमिजाज व्यवहार और कार्य कुशलता के लिए पहचाने जाने वाले डीएम मंगेश घिल्डियाल का तबादला कर दिया गया है. मंगेश को टिहरी जिले में तैनाती दी गई है. मंगेश के काम करने के अंदाज और उनका जनता से जुड़ाव उन्हें और अधिकारियों से अलग बनाता है. ऐसे में अब उनके स्थान पर हरियाणा की रहने वाली IAS वंदना चौहान को जिले की कमान सौंपी गई है.
रुद्रप्रयाग में ताजा हालातों को देखते हुए साफ तौर पर लगता है कि वंदना के सामने चुनौतियां कम नहीं होंगी. उनके सामने जहां मंगेश घिल्डियाल के विकासकार्यों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी होगी, तो वहीं जिले की भौगोलिक परिस्थितियों से निपटना भी वंदना के लिए आसान नहीं होगा.
आईएएस वंदना चौहान हरियाणा के नसरुल्लागढ़ के छोटे से गांव की रहने वाली हैं. वंदना की शुरुआती पढ़ाई हरियाणा के ही सरकारी स्कूल में हुई. उन्होंने बाहरवीं तक गुरुकुल में पढ़ाई की. लॉ करने के साथ ही वंदना ने आईएएस की तैयारी भी की. आईएएस की तैयारी के लिए वंदना कम उम्र से ही कॉम्प्टीटिव मैग्जीन में टॉपर्स के इंटरव्यू पढ़तीं थीं. महज 24 साल की छोटी उम्र में बिना किसी कोचिंग और गाइडेंस के वंदना ने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2012 में आठवां स्थान हासिल किया था.
हरियाणा की रहने वाली हैं IAS वंदना चौहान. एक साल तक घर में कैद रही वंदना
आईएएस की तैयारी के दौरान वंदना कभी एक किताब खरीदने भी अपने घर से बाहर नहीं गई. अपनी मंजिल को पाने की चाह में वंदना ने घर में खुद को इस तरह कैद कर लिया था कि किसी को भी उन्हें डिस्टर्ब करने की परमिशन नहीं थी. वे एक साल तक कमरे में बंद होकर सिर्फ पढ़ती थी. पढ़ाई करते वक्त उन्हें नींद न आये इसके लिए वंदना ने गर्मियों में अपने कमरे में कूलर तक नहीं लगवाया. वे गर्मियों में पसीने में तर-बतर होकर केवल पढ़ती रहती थी. एक साल तक वंदना के घर वालों को आभास भी नहीं हुआ की वंदना घर पर हैं.
अपनी मेहनत और लगन से वंदना ने हासिल की मंजिल
पढ़ें-शादी की सालगिरह के दिन IAS मंगेश घिल्डियाल का टिहरी ट्रांसफर, THDC निदेशक की भी जिम्मेदारी
फिलहाल वंदना पिथौरागढ़ में मुख्य विकास अधिकारी के पद पर तैनात हैं. वो जिले में इस पद को संभालने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं. वंदना लगातार अपनी कार्यशैली से लोगों को प्रभावित करती रहीं हैं. आगे बढ़ने की चाह और कुछ कर गुजरने का जज्बा शुरुआती दिनों से ही वंदना के भीतर था. जिसका नतीजा है कि आज वंदना जिस मुकाम पर हैं, वहां पहुंचना कई लोगों का सिर्फ ख्वाब ही रह जाता है.