रुद्रप्रयाग:अपने ठेठ पहाड़ी अंदाज और जनता के अधिकारी के रूप में पहचान बनाने वाले रुद्रप्रयाग डीएम मंगेश घिल्डियाल के लिये बृहस्पतिवार का दिन काफी अहम रहा. एक तो उनकी शादी की सालगिरह थी और दूसरा उनका टिहरी ट्रांसफर. मंगेश घिल्डियाल को अब टिहरी जिलाधिकारी के साथ पुनर्वास टिहरी बांध परियोजना का निदेशक भी बनाया गया है.
IAS मंगेश घिल्डियाल का तबादला. 17 मई 2017 को रुद्रप्रयाग जिले के 23वें जिलाधिकारी के तौर पर मंगेश घिल्डियाल ने कार्यभार ग्रहण किया था. उन्होंने तीन वर्ष तक रुद्रप्रयाग जिले को अपनी सेवाएं दी हैं. इस दौरान उन्होंने केदारनाथ यात्रा का बेहतर संचालन करवाया तो दूसरी ओर युवाओं और महिलाओं को रोजगार से जोड़ा. उनके कार्यकाल में हर व्यक्ति बेहद खुश रहा है.
वहीं, आज मंगेश घिल्डियाल की शादी की सातवीं सालगिरह भी है. सुबह से ही उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. सात वर्ष पूर्व 21 मई 2013 को मंगेश घिल्डियाल का विवाह ऊषा घिल्डियाल के साथ हुआ था. उनका एक 6 साल का बेटा श्रेयस है, जो रुद्रप्रयाग में ही अन्य बच्चों के साथ एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है.
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सिविल सर्विसेज परीक्षा में मिली थी देश में 4वीं रैंक
आइएएस मंगेश घिल्डियाल का जन्म पौड़ी जिले के धुमाकोट तहसील में पड़ने वाले डांडयू गांव में हुआ था. उनकी माता गृहणी और पिता प्राइमरी स्कूल में अध्यापक हैं. आम पहाड़ी बच्चों की तरह ही मंगेश की प्राइमेरी शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई. माध्यमिक शिक्षा के लिए मंगेश गांव से पांच किमी दूर राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय पटोटिया जाते थे. उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई राजकीय इंटर कॉलेज रामनगर से की और बीएससी राजकीय स्नातकोत्तर रामनगर से किया.
बीएससी के बाद एमएससी फिजिक्स डीएसबी कैंपस नैनीताल कुमाऊं यूनिवर्सिटी से किया. उन्होंने एमएससी फिजिक्स से पूरा किया. गेट के एग्जाम में सिलेक्शन के बाद इंदौर से लेजर साइंस में एमटेक किया. फाइनल इयर 2006 में डीआरडीओ में साइंटिस्ट के रूप में उनकी तैनाती हुई.
इसके बाद उनके कदम आगे बढ़ते गये और उन्होंने जॉब के साथ ही सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की. पहले प्रयास में 131वीं रैंक के साथ मंगेश का आईपीएस में सिलेक्शन हुआ, लेकिन ये उनकी मंजिल नहीं थी. वर्ष 2011 में एक बार फिर उन्होंने कोशिश की और सिविल सर्विसेज परीक्षा में देश में 4वीं रैंक हासिल की.
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मंगेश चाहते तो आईएफएस बनकर विदेश सेवा में जा सकते थे, लेकिन उन्होंने अपना कैडर उत्तराखंड ही चुना और पहाड़ के युवाओं के लिए एक रोल मॉडल बनने के साथ ही जनता के बीच भी अपने मिलनसार और सादगी भरे स्वभाव के कारण प्रदेश में जनता के सबसे चहेते नौकरशाह बन गये.