रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत दरमोला भरदार में चल रहे पांडव नृत्य में बाणों कौथिग का आयोन किया गया. बाणों कौथिग आकर्षण का केन्द्र रहा. आगामी 14 दिसम्बर को प्रसाद वितरण के साथ यहां पांडव नृत्य का विधिवत समापन किया जाएगा.
23 नवंबर यानी एकादशी पर्व पर अलकनंदा-मंदाकिनी संगम स्थल गंगा स्नान के साथ ग्राम पंचायत दरमोला में पांडव नृत्य की शुरुआत हुई थी. बुधवार को सुबह ग्रामीणों ने पूरी प्रसाद एवं खीर बनाकर भगवान बदरी विशाल एवं अन्य देवताओं को इसका भोग लगाया. पुजारी कीर्तिराम डिमरी ने पांडव के अस्त्र-शस्त्रों के साथ देव निशानों की विशेष पूजा-अर्चना कर आरती की. इसके बाद चारों दिशाओं की पूजा व देवताओं का आह्वान किया गया.
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पांडव पश्वों ने नृत्य करने वाले स्थान के चारों कोने की पूजा-अर्चना की. जिसके बाद ढोल सागर की ताल पर देवता अवतरित होने के बाद पुजारी ने पांडवों को उनके बाण एवं अन्य अस्त्र-शस्त्र दिए. पांडवों ने ढोल-दमाऊं की थाप पर अस्त्र-शस्त्रों के नृत्य शुरु किया. पांडवों का नृत्य दूर-दराज क्षेत्रों से पहुंचे भक्तों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा. बाणों के कौथिग का नृत्य लगभग दो घंटे तक चलता रहा. अंत में बदरी विशाल के लिए तैयार भोग को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया गया.
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पांडव नृत्य देखने के लिए प्रतिदिन दरमोला, तरवाड़ी, स्वीली, सेम, डुंग्री, जवाड़ी, मेदनपुर, रौठिया समेत कई दूर-दराज क्षेत्रों से ग्रामीण पहुंच रहे हैं. इससे पूर्व उपस्थित सैकडों भक्तों ने भगवान बदरीनाथ एवं शंकरनाथ देवता को भेंट लगाकर दर्शन किए. सभी ने अपने परिवार की खुशहाली की कामना भी की. पांडव नृत्य समिति दरमोला के अध्यक्ष बलवीर सिंह पंवार ने बताया 12 दिसम्बर को नौगरी का कौथिग, 13 दिसम्बर को गेंडे का कौथिग व सिरोता एवं 14 दिसम्बर को नारायण के फल वितरण के साथ पांडव नृत्य का विधिवत समापन किया जाएगा. उन्होंने अधिक से अधिक लोगों को पांडव नृत्य में पहुंचने की अपील की है.