आपदा के 8 सालों में कितना बदला केदारनाथ, विस्तार से पढ़ें - Kedardham changed after Kedarnath disaster
केदारनाथ आपदा के आठ साल पूरे हो चुके हैं. इन आठ सालों में केदारनाथ काफी बदल गया है. आपदा के बाद यहां तमाम तरह के विकास कार्य किये गये हैं.
आपदा के 8 सालों में कितना बदला केदारनाथ,
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Published : Jun 16, 2021, 4:40 PM IST
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Updated : Jun 16, 2021, 6:44 PM IST
रुद्रप्रयाग: केदारनाथ आपदा (Kedarnath disaster) को आज पूरे आठ साल का समय हो चुका है. इन आठ सालों में केदारनाथ की तस्वीर भी काफी बदल चुकी है. धाम में पुनर्निर्माण का कार्य आज भी जारी है. केदारनाथ पुनर्निर्माण में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान का अहम योगदान रहा है. आपदा के बाद निम ने धाम के लिए गौरीकुण्ड से केदारनाथ पैदल मार्ग को तैयार किया. आपदा के बाद ध्वस्त हो चुके 16 किमी. पैदल मार्ग को निम ने दूसरी जगह से तैयार कर 18 किमी. का बनाया, जो अब काफी सुगम और राहत भरा है.
आपदा के 8 सालों में कितना बदला केदारनाथ
आपदा के बाद भीमबली से केदारनाथ तक 10 किमी नया रास्ता तैयार किया गया. जिसमें छोटी लिनचोली, लिनचोली, रुद्रा प्वांइट, समेत कई छोटे बाजार बन चुके हैं. केदारनाथ पैदल मार्ग भी पहले के मुकाबले काफी अच्छा व सुरक्षित हो गया है. पूरे मार्ग पर रेलिंग लगाई गई हैं, जबकि मार्ग भी तीन से चार मीटर तक चौड़ा किया गया है. लिनचोली, छोटी लिनचोली, रुद्रा प्वांइट, समेत कई पड़ाव विकसित कर यहां यात्रियों के रहने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं.
ऑलवेदर प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाइवे
आपदा के समय गौरीकुंड हाइवे रुद्रप्रयाग से लेकर गौरीकुंड तक कई स्थानों पर पूरी तरह बह गया था. अब इस हाइवे को ऑलवेदर रोड के तहत बनाया जा रहा है. इसमें कटिंग का कार्य पूरा हो चुका है. यहां पर यात्रियों के रहने के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं जुटाई गई हैं. सात हजार यात्री यहां पर रह सकते हैं. इसके अलावा केदारनाथ धाम में आपदा के बाद हेलीपेड निर्माण, मंदिर परिसर, आस्था पथ, मंदाकिनी पुल निर्माण, पांच तीर्थ पुरोहित भवनों के साथ ही मंदाकिनी व सरस्वती नदी के किनारे सुरक्षा दीवार का निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है.
केदारधाम में अभी भी शंकराचार्य समाधि स्थल, तीर्थ पुरोहित भवन, अस्पताल, पुलिस भवन के साथ ही अन्य कार्य होने बाकी हैं. जिनका कार्य प्रगति पर है. धाम में मौसम खराब होने से कार्य समय पर नहीं हो पाते हैं. इन दिनों धाम में वुड स्टोन कंपनी शंकराचार्य समाधि स्थल व डीडीएमए की ओर से अस्पताल भवन, पुलिस चैकी का कार्य किया जा रहा है.
केदारनाथ धाम.
गौरीकुण्ड में आज तक नहीं हो सका कुंड का निर्माण
यहां प्रशासनिक अधिकारियों के रहने के लिए भवन भी बनाये जा रहे हैं. कुल मिलाकर देखा जाय तो आपदा के बाद केदारनाथ में बहुत से कार्य हुए हैं, लेकिन केदारनाथ यात्रा के अहम पड़ाव गौरीकुण्ड में आपदा के बाद सिर्फ सुरक्षा निर्माण कार्य के अलावा कुछ नहीं हो सका. यहां पर गर्म कुंड का निर्माण आज तक नहीं हो पाया है. ऐसे में यहां के लोगों में सरकार और शासन के प्रति आक्रोश बना हुआ है.
अब केदारपुरी आपदा की दृष्टि से काफी सुरक्षित हो गई है. धाम के चारों ओर आपदा के बाद थ्री लियर प्रोटेक्शन दीवार का निर्माण किया गया है. वहीं आपदा के आठ वर्ष बाद केदारनाथ धाम पूरी तरह बदल चुका है. धाम में पहले के मुकाबले अब काफी बेहतर सुविधाएं सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही हैं. आपदा के बाद शुरुआत के दो वर्षो में जरूर यात्रियों की संख्या में कमी रही, लेकिन इसके बाद यात्रा ने सभी नए व पुराने रिकार्ड तोड़ दिए. पहली बार वर्ष 2019 में दस लाख से अधिक यात्री दर्शनों को आए. यात्रा से जुड़े हजारों व्यापारियों ने अच्छी आमदनी कर अपनी आजीविका चलाई. प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत होने वाले कार्य भी अब अंतिम चरण में हैं.
केदारनाथ में आई प्रलयकारी आपदा में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई तो लाखों लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा था. यहां आपदा में मरने वालों का आंकड़ा 4400 बताया गया है, लेकिन लोगों की मानें तो दस हजार से ज्यादा लोग इस आपदा में कालकलवित हो गए थे. केदारघाटी के साठ प्रतिशत लोग केदारनाथ यात्रा पर ही निर्भर रहते हैं. यात्रा के दौरान घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी, होटल, ढाबा चलाकर सालभर की आमदनी कमाते थे.
आपदा के 8 सालों में कितना बदला केदारनाथ
केदारनाथ आपदा के बाद से धाम में पुनर्निर्माण कार्य कर रही वुड स्टोन कंपनी के प्रबंधक मनोज सेमवाल ने बताया कि धाम में आपदा के बाद नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने तेजी से काम किया. आपदा के दो से तीन सालों के भीतर केदारनाथ में यात्रियों के लिए व्यवस्थाएं जुटाई गईं. अब धाम में वुड स्टोन कंपनी, डीडीएमए विभाग कार्य कर रहा है.
वहींं, प्रभारी मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने कहा कि केदारनाथ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत कार्य हो रहे हैं. धाम में निर्माण कार्यो की मॉनिटरिंग की जा रही है.
केदारनाथ में सुरक्षा दीवार.
बीते वर्षो में यात्रा की तस्वीर
साल
यात्रियों की संख्या
2020
1,32,000
2019
1000021
2018
772390
2017
471235
2016
349123
2015
159340
2014
39500
केदारधाम में क्या-क्या काम हुए
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत हुए कार्य.
केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे 390 मीटर सुरक्षा दीवार का निर्माण.
मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर घाट व चबूतरे का निर्माण.
तीर्थ पुरोहितों के घरों का निर्माण.
केदारनाथ में अत्याधुनिक सुविधायुक्त स्वास्थ्य सेवाएं शुरू.
केदारनाथ मंदिर परिसर में चैड़ीकरण कार्य और मंदिर के सामने 200 मीटर लंबे रास्ते का निर्माण.
400 मीटर लंबे आस्था पथ का निर्माण.
गरुड़ चट्टी को केदारनाथ से जोड़ा गया.
केदारनाथ धाम में सात हजार यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था.
केदारनाथ में अभी जो कार्य होने हैं
आदिगुरु शंकराचार्य समाधि स्थल.
छूटे तीर्थ पुरोहितों के भवन.
गरुड़चट्टी से भीमबली तक पैदल मार्ग का निर्माण.
केदारनाथ मंदिर के पीछे ब्रह्मवाटिका का निर्माण
आपदा के बाद हेली सेवा का बढ़ा क्रेज आपदा के बाद केदारनाथ के लिए हेली सेवा का क्रेज काफी बढ़ा है. इसी के मद्देनजर सरकार की ओर से हर साल हेली सेवा संचालित करने वाली 13 कंपनियों को उड़ान भरने की अनुमति दी जाती है. स्थिति यह है कि कुल यात्रा के दस से पन्द्रह फीसदी यात्री हेली सेवा से केदारनाथ दर्शनों को पहुंचते हैं.
आपदा से बाद संवारा गया केदारनाथ.
केदारपुरी में डीडीएमए ने किया उदक कुंड का निर्माण पूरा अब केदारनाथ धाम में तीर्थयात्री उदक कुंड के पवित्र जल से आचमन कर सकेंगे. वर्ष 2013 की आपदा में ध्वस्त उदक कुंड का डीडीएमए ने निर्माण पूर्ण कर दिया है. आपदा के बाद केदारपुरी में हंस कुंड, उदक कुंड, अमृत कुंड, रेतस कुंड तथा हवन कुंड का अस्तित्व समाप्त हो गया था.
केदारनाथ मंदिर से लगभग सौ मीटर की दूरी पर उदक कुंड स्थित है. इस जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है. साथ ही बाबा की पंचमुखी उत्सव डोली के ओंकारेश्वर मंदिर जाते समय उदक कुंड के जल का छिड़काव किया जाता है. आपदा से केदारनाथ धाम में अवस्थित पांच कुंड जमींदोज हो चुके थे. कई वर्षों बाद स्थानीय लोगों तथा डीडीएमए के कर्मचारियों ने जहां पर पूर्व में उदक कुंड था, उस स्थान की ढूंढखोज की. मास्टर प्लान के तहत कुंड का पौराणिक व स्थानीय पत्थरों से सुंदर निर्माण किया गया है.
उदक कुंड का निर्माण प्रशासन के निर्देशानुसार तथा मास्टर प्लान के अनुसार चार फीट गहरा तथा दस फीट चौड़ा निर्मित किया गया है. आपदा में बिखरे बोल्डरों से इस कुंड को भव्यता दी गयी है. आगामी कुछ वर्षों में अन्य जमींदोज कुंड तथा मठ मंदिर का पुनर्निर्माण किया जायेगा. केन्द्र सरकार की एनओसी के बाद ही इस अमृत तथा उदक कुंड का निर्माण किया गया.
जख्म जिस पर वक्त भी नहीं लगा पाया मरहम
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 4,400 से अधिक लोग मारे गए थे.
4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया था.
991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगहों पर मारे गए.
11 हजार से अधिक मवेशी बह गए या मलबे में दब गए.
1,300 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई.
केदारघाटी में 2,141 भवन ध्वस्त हो गए थे.
100 से ज्यादा होटल ध्वस्त हो गए थे.
केदारघाटी से 90 हजार यात्रियों को सेना ने रेस्क्यू किया.
30 हजार स्थानीय लोगों को पुलिस ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया.
आपदा के दौरान 9 NH और 35 स्टेट हाईवे क्षतिग्रस्त हो गए थे.
2013 की आपदा के दौरान 2385 सड़कों को नुकसान पहुंचा था.