रुद्रप्रयाग: 2013 की केदारनाथ आपदा में रेस्क्यू के दौरान संकटमोचक की भूमिका निभाने वाला गुप्तकाशी-जखोली मोटर मार्ग की सुध लेने वाला आज कोई नहीं है. वक्त गुज़रने के साथ शासन-प्रशासन ने गुप्तकाशी-जखोली मोटरमार्ग को भुला दिया गया है. स्थानीय लोग अपनी जाम जोखिम में डालकर आज उसी रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं. जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से अब जनता के मन में आक्रोश पनपने लगा है.
गुप्तकाशी-जखोली मोटर मार्ग पर सफर करने का मतलब है कि अपनी जान को जोखिम में डालना, लेकिन स्थानीय लोगों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है. इसलिए उन्हें रोज इसी रास्ते से दो चार होना पड़ता है. खस्ताहाल सड़क की वजह से यहां आए दिन हादसे होते रहते हैं. बरसात में तो स्थिति और भी बुरी हो जाती है. राहगीरों को उफनते गदेरों के बीच से होकर गुजरना पड़ता है.
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स्थानीय लोग कई बार प्रशासन, शासन और सरकार से रोड की मरम्मत कराने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने भी उनकी परेशानियों पर ध्यान नहीं दिया.
जान जोखिम में डालकर सफर करते लोग. 2013 की आपदा में जीवनदायनी बना था ये मार्ग
साल 2013 में 16-17 जून की रात आई आपदा ने गौरीकुंड से रुद्रप्रयाग तक केदारनाथ हाईवे का नामोनिशान मिटा दिया था. हजारों तीर्थयात्री और स्थानीय लोग बीच रास्ते में फंस गए थे. उनका वहां से रेस्क्यू करना प्रशासन के सामने किसी चुनौती से कम नहीं था. ऐसे में गुप्तकाशी-बसुकेदार-जखोली मोटर मार्ग के जरिये ही लोगों को उनके गतंव्य तक पहुंचाया गया. यहां से घनसाली-टिहरी होते हुए तीर्थ यात्रियों को ऋषिकेश भेजा गया था. आपदा के समय जो मोटर मार्ग प्रशासन के लिए वरदान साबित हुआ था आज प्रशासन के पास उसको सुध लेने का समय नहीं है.
इस मार्ग के सुधारीकरण और रख-रखाव को लेकर प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा है. मोटरमार्ग का डामरीकरण भी नहीं किया गया है. ऐसे में उबड़-खाबड़ रास्तों से ग्रामीणों को आवाजाही करनी पड़ रही है.
ग्रामीणों ने कहा कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण मोटर मार्ग खस्ताहाल हो चुका है. रास्ते में कई गदेरे पड़ते हैं जिन पर पुलिया का निर्माण भी नहीं किया गया है.