रुद्रप्रयागःकेदारनाथ यात्रा के अहम पड़ाव गौरीकुंड स्थित गौरी माई (gauri mai) के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण और पौराणिक रीति रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. अब 6 महीने तक मां की पूजा-अर्चना गौरी गांव के चंडिका मंदिर में होगी. इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तों ने मां गौरा के दर्शन किए.
बता दें कि शनिवार सुबह पांच बजे गौरी माई के पुजारी ने गौरीकुंड मंदिर (Gaurikund Temple) में विशेष पूजा अर्चना कर भोग लगाया. जिसके बाद कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई. वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां गौरी की भोगमूर्ति को डोली में स्थापित कर श्रृंगार किया गया. ठीक 8 बजे पुजारी विमल जमलोकी और ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाज के साथ भक्तों के दर्शनार्थ मां गौरा माई के कपाट बंद किए.
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मां की डोली मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद गौरी गांव के लिए रवाना हुई. इस दौरान भक्तों और क्षेत्रीय ग्रामीणों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. मां गौरामाई के गौरी गांव पहुंचते ही ग्रामीणों ने फूल मालाओं और अक्षतों से जोरदार स्वागत किया. मां की भोग मूर्ति को चंडिका मंदिर में विराजमान किया गया.