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आजादी से पहले बसाया गांव, बष्टी तोक के ग्रामीणों को अब मिला बेदखली का नोटिस, सीएम से लगाई गुहार

रुद्रप्रयाग जिले की मदमहेश्वर घाटी के बष्टी तोक के लोगों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजा है. इन लोगों का आरोप है कि उन्हें केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने जमीन खाली करने का नोटिस दिया है. बष्टी तोक के लोगों दावा है कि वो आजादी के पहले से यहां रह रहे हैं. अब उन्हें इस तरह बेदखली का नोटिस मानसिक उत्पीड़न है.

Bedkhali notice
गांव खाली करने का आदेश

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Published : Jul 3, 2023, 1:41 PM IST

रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी की ग्राम पंचायत गैड़ के बष्टी तोक के कुछ परिवारों को बेदखली का नोटिस जारी किया गया है. इससे मदमहेश्वर घाटी के जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों में विभाग के प्रति आक्रोश बना हुआ है. इस बाबत ग्रामीणों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजकर न्याय की गुहार लगाई है.

93 साल पुराने गांव को खाली करने का नोटिस

बेदखली के नोटिस के खिलाफ सीएम को ज्ञापन: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजे ज्ञापन का हवाला देते हुए ग्रामीणों ने कहा कि केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग गोपेश्वर रेंज कार्यालय ऊखीमठ गुप्तकाशी की ओर से ग्राम पंचायत गैड़ के बष्टी तोक के कुछ परिवारों को बेदखली का नोटिस भेजा गया है. जबकि ये परिवार आजादी से पूर्व वर्ष 1930 से यहां रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. विभाग द्वारा इन परिवारों को बेदखली का नोटिस भेजकर उत्पीड़न किया जा रहा है.

बष्टी तोक के लोगों का दावा 93 साल से यहां रह रहे हैं: ग्रामीणों ने कहा कि उक्त परिवार कालीशिला जग्गी बगवान से भूस्खलन के कारण वर्ष 1930 में आजादी से पूर्व ग्राम बस्टी पोस्ट मनसूना ऊखीमठ में विस्थापित हुए थे. तब इन लोगों ने यहां पर बसावट की थी. वर्ष 1976 में यहां रह रहे इन लोगों का वन विभाग द्वारा चालान किया गया था. ये लोग अपने पूर्वजों के समय से निवासरत हैं. अब इन्हें गांव छोड़ने का नोटिस दिया गया है. जिसे ग्रामीण अपना मानसिक उत्पीड़न समझ रहे हैं और वे हतास हैं.
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बीजेपी के मंडल महामंत्री ने भी नोटिस पर नाराजगी जताई: भाजपा ऊखीमठ मंडल महामंत्री दलवीर सिंह नेगी ने केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि वर्ष 1930 से बष्टी तोक में निवास कर रहे परिवारों को बेदखली का नोटिस जारी करना समझ से परे है. उनका कहना है कि बेदखली का नोटिस जारी करने से पूर्व केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग को प्रदेश सरकार के संज्ञान में मामला लाना चाहिए था.

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