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केदारनाथ के ब्रह्म वाटिका में खिले ब्रह्मकमल, वन विभाग कर रहा जड़ी-बूटियों का संरक्षण - Preservation of herbs in Brahma Nursery

केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग केदारपुरी के ब्रह्म वाटिका और ब्रह्म पौधशाला में जड़ी बूटियों का संरक्षण कर रहा है. इसके अलावा बड़े स्तर पर ब्रह्म कमल भी लगाया गया है. इसका मकसद श्रद्धालुओं को ब्रह्म कमल से रूबरू कराना है.

Brahma kamal in Kedarnath Dham
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Published : Aug 7, 2022, 4:36 PM IST

रुद्रप्रयागः वन्य जीव प्रभाग ऊखीमठ की केदारनाथ यूनिट ने केदारनाथ धाम में ब्रह्म पौधशाला समेत तीन ब्रह्म वाटिकाओं के जरिए ब्रह्म कमल समेत बेशकीमती जड़ी-बूटियों के संरक्षण व संवर्धन का जिम्मा उठाया है. केदारनाथ के ब्रह्म पौधशाला में ब्रह्म कमल के पुष्पों का उत्पादन किया जा रहा है. जिसका मुख्य उद्देश्य देश-विदेश के तीर्थ यात्रियों को ब्रह्म कमल के पुष्पों से रूबरू करवाना है. साथ ही केदारपुरी के चारों ओर फैले भूभाग में ब्रह्म वाटिका में जड़ी-बूटियों का संरक्षण व संवर्धन करना है.

बता दें कि केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग (Kedarnath Wildlife Division) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में केदारनाथ में 0.22 हेक्टेयर में ब्रह्म कमल पौधशाला में ब्रह्म कमल के पुष्पों का उत्पादन शुरू किया था. विभाग की ओर से ब्रह्म कमल पौधशाला में लगभग 4700 ब्रह्म कमल के पुष्पों के अलावा अन्य जड़ी-बूटियों का उत्पादन किया जा रहा है.

केदारनाथ में ब्रह्म पौधशाला.

विभाग ने ब्रह्म पौधशाला के अलावा केदारपुरी के चारों तरफ फैले भूभाग में तीन हेक्टेयर में अलग-अलग स्थानों पर ध्यान ब्रह्म कमल वाटिका, मोदी ब्रह्म कमल वाटिका और भैरव ब्रह्म कमल वाटिका का निर्माण किया है. साथ ही विभिन्न प्रजाति की जड़ी-बूटियों के संरक्षण व संवर्धन का जिम्मा लिया है. पौधशाला व तीनों वाटिका की देखभाल का जिम्मा एक वन दरोगा, एक वन आरक्षी और दो स्थानीय युवाओं ने लिया है.

केदारनाथ ब्रह्म वाटिका में ब्रह्मकम.

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वन विभाग के मुताबिक, तीनों ब्रह्म वाटिकाओं में वित्तीय वर्ष 2020-21 में ब्रह्म कमल 200, बज्रदत्ती 200, कुटकी 1740, भूतकेशी 30, आरचू 18, कूट 12, केदार पाती 6 के अलावा भृंगराज, सालमपंजा, पंच काव्य, जेनीफर, अतीश के पौधों का रोपण किया गया था. जबकि, इस साल तीनों ब्रह्म वाटिकाओं में ब्रह्मकमल 720, कुटकी 66 स्ट्रॉबेरी 50 पौधों का रोपण किया गया है. ब्रह्म पौधशाला व ब्रह्म वाटिका के संरक्षण व संवर्धन का जिम्मा संभाले वन आरक्षी प्रदीप रावत ने बताया कि ब्रह्म वाटिकाओं में जड़ी-बूटी रोपण करते समय पर्यावरण का विशेष ख्याल रखना पड़ता है.

ब्रह्म वाटिका में खिला ब्रह्मकमल.

क्योंकि जड़ी-बूटी रोपण के लिए यदि गड्ढे का आकार बड़ा होता है तो मखमली बुग्यालों में भूस्खलन का खतरा बना रहता है. साथ ही चारों ओर फैली मखमली घास के संरक्षण का भी ध्यान रखना पड़ता है. प्रदीप रावत के मुताबिक, ब्रह्म वाटिकाओं में रोपित ब्रह्म कमल पहले साल बर्फबारी के कारण ऊपरी हिस्सा जल जाता है. इसलिए रोपित ब्रह्म कमल को अंकुरित होने में तीन साल का समय लगता है.

ब्रह्म कमल वाटिका में कार्य कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि ब्रह्म कमल वाटिकाओं की देखभाल के लिए चौबीस घंटे सजग रहना पड़ता है. वाटिकाओं में काम करते समय बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है, क्योंकि मानवीय थोड़ी सी चूक से प्रकृति को बड़ा नुकसान हो सकता है.

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