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रुद्रप्रयाग: फलों का समर्थन मूल्य देर से घोषित होने से काश्तकार मायूस

माल्टा का समर्थन मूल्य देर से घोषित(Malta support price announced late) होने के कारण काश्तकार मायूस(Farmers of Rudraprayag are disappointed) हैं. समर्थन मूल्य देर से घोषित होने के कारण काश्तकारों को काफी नुकसान(great loss to the cultivators) उठाना पड़ रहा है.

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फलों का समर्थन मूल्य देर से घोषित होने से काश्तकार मायूस

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Published : Dec 3, 2022, 5:01 PM IST

रुद्रप्रयाग: एक ओर सरकार काश्तकारों को फल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए समय समय पर फलों की पौध उपलब्ध कराती है, वहीं, दूसरी ओर जब फलों का उत्पादन होना प्रारम्भ होता है तो काश्तकारों को ना तो बाजार उपलब्ध होता है और ना ही समय पर फलों का समर्थन मूल्य घोषित होता है. ऐसे में काश्तकारों को भारी नुकसान(great loss to the cultivators) उठाना उठाना पड़ रहा है. जिससे काश्तकार काफी मायूस हैं.

काश्तकारों का कहना है सरकार द्वारा समर्थन मूल्य घोषित करने में काफी देरी हो जाती है. नजीमाबाद के व्यापारी औने पौने दामों में काश्तकारों का माल्टा खरीद कर जाते हैं. काश्तकार भी बन्दरों के डर से नजीमाबाद के व्यापारी को कम कीमत पर माल्टा बेचने में ही अपनी भलाई समझते हैं. इस वर्ष भी सरकार ने माल्टा का समर्थन मूल्य अब घोषित किया है. वह भी केवल सी ग्रेड के लिए. ऐसे में अगर किसी काश्तकार ने बंदरों से किसी प्रकार अपने माल्टों को बचा कर रखा होगा तो वह अपने ए एवं बी ग्रेड के माल्टों को भी सी ग्रेड के मूल्य पर बेचने को मजबूर हैं. पहाड़ में इसके लिए कोई बाजार उपलब्ध नहीं है.

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रुद्रप्रयाग जनपद में सबसे अधिक माल्टा उत्पादन करने वाले औरिंग गांव निवासी 90 वर्षीय फल उत्पादक पूर्व सैनिक अजीत सिंह कंडारी का कहना है कि पहाड़ में एक माल्टा ही ऐसा फल है, जो काश्तकारों की आर्थिकी में मददगार साबित होता है. इसके बावजूद सरकार माल्टा उत्पादकों की कोई सुध नहीं ले रही है. केवल सी ग्रेड का समर्थन मूल्य घोषित कर अपना पल्ला झाड़ रही है.

किशोर न्याय बोर्ड के पूर्व सदस्य नरेन्द्र कण्डारी का कहना है कि सरकार को चाहिए कि किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए पौष्टिकता से भरपूर ए व बी ग्रेड का माल्टा विद्यालयों में मिड डे मील में शामिल करने, आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों में वितरित करने, सरकारी कार्यक्रमों में सम्मिलित करके जलागम एवं आजीविका परियोजना, सहकारिता, कृषि, उद्यान आदि विभागों के माध्यम से उपयोग में लाया जा सकता है.

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