रुद्रप्रयाग:केदारघाटी का प्रसिद्ध पौराणिक जाख मेला प्रशासन के निर्देश पर सादगी के साथ मनाया गया. इस दौरान मेले में चंद लोग ही मौजूद रहे. प्रति वर्ष बैशाखी के पर्व पर लगने वाला ऐतिहासिक एवं पौराणिक जाख मेला इस बार कोरोना वायरस की महामारी के चलते बेहद सादगी से मनाया गया. हालांकि परंपरागत पूजा, रीति रिवाज और ढोल सागर के मध्य भगवान का यक्ष नृत्य भी हुआ, मगर अपेक्षित भीड़ और दुकाने इस बार नहीं दिखाई दी.
बता दें, मंगलवार को ठीक 12 बजे भगवान जाख का नर पश्वा ढोल दमाऊ की स्वर लहरी के बीच महज दो भक्तों के साथ अपने पौराणिक पैदल मार्ग से होते हुए देवशाल स्थित विंध्यवासिनी मंदिर में पहुंचा. मुख्य मंदिर की तीन परिक्रमा पूर्ण करने के बाद पुनः जाख की कंडी और जलते दिए के पीछे चलते हुए जाख के मुख्य मंदिर में पहुंचे. जहां पर विश्राम करने के तुरंत बाद भगवान यक्ष ने धधकते अंगारों पर एक बार कूदकर नृत्य किया. स्थानीय पुजारियों की ओर से तांबे की गगरी में भरे पवित्र जल से नर पश्वा को जल स्नान कराया गया. जिसके बाद पुनः पूजा अर्चना पूर्ण कर कुछ लोगों के साथ ही नर पश्वा जाख की कंडी के साथ अपने स्थान की ओर आ गए.
वहीं, ग्राम प्रधान देवशाल निर्मला देवी ने बताया कि प्रशासन के निर्देश पर इस बार बेहद सादगी से जाख मेला संपन्न किया गया है. मेले की भव्यता तथा पौराणिक महत्ता को बरकरार रखते हुए आध्यात्मिक रूप से यह मेला सफल रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र देवशाली ने पुलिस प्रशासन की तारीफ करते हुए जाख मंदिर परिसर में उनकी बेहतर जिम्मेदारियों के लिए सम्मानित भी किया.