रुद्रप्रयाग: जनपद कादूरस्थ गांव लिस्वाल्टा आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. यहां संचार और बिजली जैसी बुनियादी जरूरतें तक ग्रामीणों के नसीब में नहीं हैं. स्थानीय ग्रामीण शासन-प्रशासन के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं. लेकिन प्रशासन की ओर से कोई सुध नहीं ली गई है. सुविधाएं न होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
मयाली-रणधार मोटरमार्ग के खलियाण और रणधार के बीच से एक सड़क लिस्वाल्टा के लिए कटती है. करीब दो किमी लंबी इस सड़क पर सिर्फ सौ मीटर ही डामर बिछाया गया है. वह भी गांव के निकट. दो सौ मीटर के अलावा पूरी सड़क कच्ची है. सड़क पर चलना किसी जोखिम से कम नहीं है. लोगों को आवाजाही करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
डिजिटल इंडिया में बिजली-सड़क को तरसता रुद्रप्रयाग का लिस्वाल्टा गांव - बिजली-सड़क को तरसता रुद्रप्रयाग का लिस्वाल्टा गांव
देश आजादी की प्लेटिनम जुबली मना रहा है. लेकिन उत्तराखंड के कई गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं. डिजिटल इंडिया में रुद्रप्रयाग के लिस्वाल्टा गांव में आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. यहां के ग्रामीण संचार और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. इससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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वहीं संचार क्रांति और डिजिटल भारत के इस युग में ग्रामीण संचार सेवाओं से वंचित हैं. संचार सेवा न होने से स्कूली बच्चे ऑनलाइन क्लास से वंचित हैं. अपने सगे-संबंधियों से संपर्क करने के लिए ग्रामीणों को गांव से दूर किसी छोर पर जाना पड़ता है. तब जाकर किसी से बात हो पाती है. लिस्वाल्टा गांव के किनगोडिया तोक में आज तक बिजली की सुविधा नहीं है. लिस्वाल्टा से करीब दो किमी दूरी पर स्थित इस तोक में करीब 15 परिवार रहते हैं. लेकिन आज तक इनके लिए बिजली की लाइन नहीं खिंच पाई है. इस कारण यहां के ग्रामीण अंधकार में रहने को मजबूर हैं. लिस्वाल्टा में एक खेल मैदान का निर्माण होना था. लेकिन उस पर भी आज तक काम नहीं हुआ.