रुद्रप्रयाग:उत्तराखंड के पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों में हो रही मूसलाधार बारिश से लोगों का जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. चमोली और रुद्रप्रयाग के ऊंचाई वाले इलाकों में जोरदार बारिश होने से अलकनंदा एवं मंदाकिनी नदियों का जलस्तर भी काफी बढ़ गया है. इसके अलावा इन नदियों के ऊपर की दशकों पुराने मोटरपुल जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं. आलम ये है कि लोगों को डोईवाला-रानीपोखरी पुल की तरह इन पुलों के गिरने का डर सता रहा है.
उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों से लेकर मैदानी क्षेत्रों में आसमान से आफत की बारिश बरस रही है. लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने लोगों का जनजीवन काफी प्रभावित हो गया है. चमोली और रुद्रप्रयाग के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हो रही बारिश से मंदाकिनी व अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ गया है. वहीं नदी के ऊपर बने कई दशकों पुराने मोटरपुल लोगों के डर का कारण बन गए हैं.
जर्जर हालत में रुद्रप्रयाग के आधा दर्जन मोटर पुल. लोगों का कहना है कि रुद्रप्रयाग के बेलणी कस्बे और केदारनाथ क्षेत्र को जोड़ने वाला प्रमुख बेलणी पुल वर्षों से जर्जर हालत में है. इसके अलावा मंदाकिनी नदी के ऊपर सुमाड़ी, विजयनगर, कुंड में बने मोटरपुल की हालत भी बेहद खराब हो गई है, जिनका स्थानीय प्रशासन कोई सुध नहीं ले रहा है.
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अलकनंदा नदी के ऊपर बना रुद्रप्रयाग से केदारघाटी को जोड़ने वाला मोटरपुल की हालत काफी नाजुक है. मोटरपुल पर भारी वाहनों के गुजरने से यह पुल झूले के समान झूलने लगता है. केदारनाथ आपदा के दौरान भी इस पुल को काफी नुकसान पहुंचा था. पुल बने करीब पांच दशक बीत चुके हैं. लेकिन अभी तक पुल पर पुनर्निर्माण कार्य नहीं हुआ है.
ऐसा ही नगर में लगभग 1970 में बना रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड मोटर पुल अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है. वर्तमान में पुल की स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है. प्रतिदिन इस पुल से सैड़कों वाहन आवाजाही करते हैं. यात्रा सीजन में वाहनों का संचालन भी बड़ी संख्या में होता है. यह पुल केदारघाटी के साथ ही गौरीकुंड हाईवे को भी जोड़ता है. लोगों का कहना है नगर के सभी पुलों की निर्माण के बाद एक बार भी मरम्मत नहीं हुई है.
वहीं लोनिवि एनएच खंड के अधिशासी अभियंता जितेंद्र त्रिपाठी का कहना है कि बेलणी में नए मोटरपुल का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है. इसके लिए कंसल्टेंट को डीपीआर बनाने के लिए हायर किया गया है. एक महीने के भीतर डीपीआर तैयार हो जाएगा. इसके बाद भारत सरकार को वित्तीय स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. वर्तमान जर्जर पुल के 30 मीटर बगल पर ही नये मोटरपुल का निर्माण किया जाना है.