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ग्रामीणों ने खोजा मलबे में दबा 35 साल पुराना जल स्रोत, मिठाई खिलाकर जताई खुशी

विकाखण्ड अगस्त्यमुनि के ग्राम पंचायत सांदर गांव के लोगों ने 35 साल से बंद प्राकृतिक स्रोत को खोज निकाला है. ग्रामीण एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी जाहिर की. साथ ही हवन-पूजन कर जल स्रोत का शुद्धिकरण किया है.

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Published : Jun 9, 2019, 1:50 PM IST

ग्रामीणों ने 35 साल पुराना जल स्रोत खोजा

रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग-चोपता मोटरमार्ग से सटे सांदर गांव के ग्रामीणों ने पूर्वजों द्वारा स्थापित प्राकृतिक जल स्रोत खोज निकाला है. 35 साल से बंद प्राकृतिक स्रोत से पानी निकलने के बाद ग्रामीणों में हर्ष का माहौल है. ग्रामीण एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी जाहिर की. साथ ही हवन-पूजन कर जल स्रोत का शुद्धिकरण किया है और स्रोत का संरक्षण करने का संकल्प लिया.

ग्रामीणों ने 35 साल पुराना जल स्रोत खोजा

गौर हो कि विकाखण्ड अगस्त्यमुनि के ग्राम पंचायत सांदर के ग्रामीणों ने गांव के ग्रामीणों ने बताया कि 35 साल पहले कुंडनुमा जगह पर निरंतर पानी निकलता रहता था. कुंड के आगे ग्रामीणों ने दस मीटर लंबी खाल बना रखी थी, जिसमें मवेशी पानी पीते थे. साल 1983-84 में भारी मलबा आने से स्रोत बंद हो गया. इसके बाद ग्रामीणों को कई सालों तक पेयजल की समस्या से जूझना पड़ा, मगर बाद में जल संस्थान की योजना से पानी मिलने लगा, लेकिन लोगों को योजना से पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है.

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गर्मियों में गांव में पानी की भारी समस्या बनी रहती है. पानी की समस्या को लेकर ग्रामीण गोविंद सिंह एवं कुलदीप सिंह के मन में ख्याल आया कि वे अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित प्राकृतिक जल स्त्रोत की फिर से खुदाई करें. शुरूआत दिनों में उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. लेकिन तीन दिन की कड़ी मेहनत के बाद दोनों ग्रामीणों की मेहनत रंग लाई करीब छह फीट खुदाई करने के बाद उन्हें पानी के बुलबुले उठते दिखाई दिए. जैसे ही उन्होंने और खुदाई की तो जमीन से पानी की जलधारा फूट पड़ी.

जिसे देख उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. दोनों ने अपनी मेहनत और लगन से 35 साल पुराना प्राकृतिक स्रोत खोज निकाला. जल स्रोत के पुनर्जीवित होने से सांदर के लोगों को काफी हद तक राहत मिली है. जल स्रोत फिर से मिलने को ग्रामीण इसे अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मान रहे हैं.

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