रुद्रप्रयाग: आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील जनपद रुद्रप्रयाग में आज भी सैकड़ों परिवार खतरे की जद में होने से विस्थापन की बाट जोह रहे हैं, लेकिन वर्षों गुजर जाने के बाद भी आपदा पीड़ित परिवारों का विस्थापन नहीं हो पाया है. जिस कारण ग्रामीण जीवन और मौत के साये में गुजर-बसरकर रहे हैं. वहीं, पुजार गांव के लोग प्रशासन व सरकार की लापरवाही का दंश झेल रहे हैं.
रुद्रप्रयाग जनपद के दूरस्थ पुजार गांव के तोणी तोक के पांच परिवार मौत के साये में जीने को मजबूर हैं. वर्ष 2013 की आपदा में गांव के नीचे से भू-धंसाव हुआ था, जिसमें पांच परिवारों के घरों में मोटी-मोटी दरार आ गई थी. तब से लेकर अब तक प्रभावित परिवार विस्थापन की मांग कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों का विस्थापन नहीं हो पाया है. वहीं, हर साल मॉनसून सीजन में ग्रामीण अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों में शरण ले लेते हैं.
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वहीं, ग्रामीण शासन-प्रशासन से कई बार सुरक्षा की मांग कर चुके हैं, लेकिन कोई अभी तक सरकार की तरफ से उनके लिए कोई भी उपाय नहीं किये गये हैं. मोमलाराम, जगदीश भट्ट सहित अन्य आपदा पीड़ितों का कहना है कि वह वर्षों से विस्थापन और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक उनकी मांग किसी ने नहीं सुनी. जिस कारण वह जिंदगी और मौत के बीच जीने को मजबूर हैं. बरसात के समय तो दिक्कतें अधिक बढ़ जाती हैं. घर बरसात के मौसम में लगातार नीचे धंसते जा रहे हैं. ऐसे में किसी बड़ी दुर्घटना का खतरा बना हुआ रहता है.
इस मामले में रुद्रप्रयाग की जिलाधिकारी वंदना सिंह का कहना है कि संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि वह आपदा पीड़ित क्षेत्रों का भ्रमण करके प्रभावित परिवारों को मुआवजा और सुरक्षा के इंतजाम करें.