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शीतकालीन गद्दीस्थल पर विराजे बाबा केदार, अब 6 महीने ओंकारेश्वर मंदिर में होंगे दर्शन

भगवान केदारनाथ अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो गए हैं. भगवान केदारनाथ के अपने गद्दीस्थल पर विराजमान होने से पहले ऊखीमठ पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा केदार की डोली का भव्य स्वागत किया.

शीतकालीन गद्दीस्थल पर विराजमान हुए बाबा केदार.

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Published : Oct 31, 2019, 6:28 PM IST

Updated : Oct 31, 2019, 7:45 PM IST

रुद्रप्रयाग: भगवान केदारनाथ गुरुवार को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हो गए. इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में ऊखीमठ पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा केदार का फूल और अक्षत से भव्य स्वागत किया. अब अगले 6 महीने तक श्रद्धालु यहीं पर बाबा केदारनाथ की पूजा-अर्चना कर सकेंगे.

शीतकालीन गद्दीस्थल पर विराजमान हुए बाबा केदार.

बता दें कि बीते 29 अक्टूबर को केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भोले बाबा की उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए अपने प्रथम पड़ाव रामपुर पहुंची थी. बुधवार को भगवान केदार की उत्सव डोली विभिन्न पड़ावों पर दर्शन देने के बाद अपने दूसरे पड़ाव विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंची. गुरुवार सुबह ठीक आठ बजे मुख्य पुजारी केदार लिंग ने केदारनाथ की पंचमुखी भोगमूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना कर भोग लगाया. इसके बाद भगवान केदारनाथ की उत्सव डोली अपने अंतिम पड़ाव के लिए रवाना हुई.

पढ़ें:ताम्रपत्र हटाकर ओंकारेश्वर मंदिर का हुआ शुद्धीकरण, फिर बाबा केदार हुए विराजमान

बाबा केदार की डोली के अपने अंतिम पड़ाव के लिए रवाना होने के दौरान सैकड़ों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु खुशी से झूम उठे. भक्तों के जयकारों और जम्मू-कश्मीर इंफेंट्री रेजीमेंट की बैंड की धुन से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. उत्सव डोली भैंसारी, विद्यापीठ, जैबरी होते हुए सुबह 10:45 पर जैबीरी पहुंची. जहां पर डोली का भव्य स्वागत हुआ.

केदार बाबा की डोली ठीक पौने 12 बजे शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंची. डोली के ऊखीमठ पहुंचने पर यहां मौजूद सैकड़ों भक्तों ने बाबा केदार का फूल व अक्षतों से भव्य स्वागत किया. केदार बाबा की डोली ने मुख्य मंदिर की परिक्रमा की, जिसके बाद डोली को गद्दीस्थल ले जाया गया, जहां केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग की मौजदूगी में मंदिर के पुजारी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भोले बाबा पंचमुखी भोगमूर्ति को डोली से निकालकर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया.

वहीं, अब आगामी शीतकाल के 6 महीने तक यहीं पर भगवान केदारनाथ की पूजा-अर्चना की जाएगी. साथ ही आगामी 6 महीने तक भक्त भी यहीं पर दर्शन कर सकेंगे.

ताम्रपत्रों को हटाया गया
बाबा केदार की डोली के विराजमान होने से पहले प्रशासन और बदरी-केदार मंदिर समिति ने ओंकारेश्वर मंदिर में लगे ताम्रपत्रों को हटाया. एसडीएम अरविंद पाण्डेय और केदारनाथ रावल की मौजूदगी में ये कार्य पूरा किया गया, जिसके बाद केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग का गुस्सा शांत हुआ और डोली का भव्य तरीके से मंदिर में स्वागत किया गया.

बता दें कि दो महीने पहले अज्ञात लोगों ने केदारनाथ डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर की दीवारों में ताम्रपत्रों को लगा दिया था. करीब दो दर्जन ताम्रपत्र लगने के बाद मंदिर समिति और पंचगाई गांवों की बैठक आहूत हुई और अज्ञात लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई.

उधर, केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचे और उन्होंने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर ताम्रपत्रों को नहीं हटाया गया तो केदारनाथ की डोली ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान नहीं होगी. जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और ताम्रपत्रों को हटाया गया, तब जाकर रावल और स्थानीय लोगों का गुस्सा शांत हुआ.

Last Updated : Oct 31, 2019, 7:45 PM IST

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