केदारनाथ धाम की यात्रा करके आए श्रद्धालुओं ने साझा किए अनुभव रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में देश के विभिन्न कोनों से तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं. भारी बर्फबारी के बावजूद तीर्थयात्री धाम की पैदल यात्रा कर रहे हैं. जबकि हजारों की संख्या में तीर्थयात्री घोड़े-खच्चर, डंडी-कंडी व पालकी का भी सहारा ले रहे हैं. इसी दौरान तीर्थयात्रियों ने यात्रा पड़ावों में मिल रही सुविधाओं के बारे में बताने के साथ ही रास्ते में आ रही परेशानियों को भी साझा किया.
जवानों की मदद से आसान रही यात्रा: अहमदाबाद गुजरात से आये माया, तृषा, पूर्वी नायक और हितेष पांचाल ने बताया शासन-प्रशासन और उत्तराखंड की सरकार को केदारनाथ धाम में व्यवस्थाएं बढ़ाने की जरूरत है. केदारनाथ धाम में स्वर्ग की अनुभूति होती है. वहीं दो जगहों पर ग्लेशियर के बीच डर भी लगा. मगर यहां पर जवानों की मदद से सुरक्षित यात्रा हो पाई. उन्होंने कहा कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखने की जरूरत है. जगह-जगह कूड़ादान रखे जाने चाहिए, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान ना हो.
घोड़ा संचालक कर रहे मनमानी:उन्होंने बताया इस बार प्रशासन ने केदारनाथ में टोकन सिस्टम लागू किया है. बाबा केदार के दरबार में लंबी लाइन लगी थी, लेकिन टोकन सिस्टम से उन्हें काफी राहत मिली. यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चर संचालकों की मनमानी भी देखने को मिली. ये संचालक ज्यादा पैसे लेकर केदारनाथ की यात्रा करवा रहे हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच पांच किमी पर वाहनों की बेहतर सुविधा नहीं है. जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.
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व्यवस्थाओं की तारीफ: केदारनाथ धाम के दर्शन करने आए भोपाल (मध्य प्रदेश) के कृष्टांग शिवराज और उनके साथी देव साहू व सौरव वाजपेयी ने अपने अनुभव साझा किये. उन्होंने बताया कि केदारनाथ में जिला प्रशासन की ओर से बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं. बाबा केदार के दर्शन पूरी सुविधा के साथ करवाए जा रहे हैं. इसके साथ ही यहां पर पुलिस की व्यवस्था भी बेहतर है. सरिता, कुणाल, यश्विका और देशराज ने बताया कि उन्हें बहुत अच्छे ढंग से बाबा केदारनाथ के दर्शन प्राप्त हुए हैं. उन्होंने पर्याप्त चिकित्सा सुविधा की काफी सराहना की. साथ ही कहा कि दर्शन करने के बाद उन्हें काफी आनंद की अनुभूति हो रही है. इसके साथ ही उन्होंने यहां के लोगों के व्यवहार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां के लोग काफी संवेदनशील और मददगार हैं.