रुद्रप्रयाग/ऊखीमठ : चैत्र नवरात्रों के पहले दिन सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सिद्धपीठ कालीमठ में पूजा-अर्चना कर मनौती मांग कर विश्व कल्याण की कामना की. देवस्थानम् बोर्ड की ओर से मुख्य मन्दिर सहित सिद्धपीठ कालीमठ का विशेष श्रृंगार किया गया है. चैत्र नवरात्रों में विद्वान आचार्यों के वैदिक मंत्रोंच्चारण से सिद्धपीठ कालीमठ का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. इसके साथ ही कोविड- 19 का भी ख्याल रखा जा रहा है और श्रद्धालुओं को सैनिटाइज करवाकर दर्शन करवाए जा रहे हैं.
सुर सरिता मंदाकिनी नदी के वाम पाश्र्व में सरस्वती के पावन तट पर स्थित सिद्धपीठ कालीमठ जहां एक ओर असीम आस्था और आध्यात्म का केन्द्र है. वहीं कालीमठ घाटी में बिखरे अलौकिक सौंदर्य को देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटकों व तीर्थयात्रियों सहित स्थानीय लोग नवरात्रों में यहां आकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं. चैत्र नवरात्रों के पावन पर्व पर प्रातः काल से देर सांय तक श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है. स्थानीय पुजारियों एवं आचार्यों द्वारा भगवती काली के मंत्रों और आरतियों से मां काली को प्रसन्न किया जा रहा है.
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मान्यता है कि जो भक्त कालीशिला तथा कालीमठ में आकर तीन रात्रि जागरण कर नवरात्रों में तन-मन से पूजन, नमन तथा ध्यान करता है. उसे अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. इस स्थान में आने के लिए किसी दिन, नक्षत्र तथा मुहूर्त की आवश्यकता नहीं पड़ती है. यहां आकर भक्त कभी भी भगवती काली के साक्षत दर्शन प्राप्त कर पुण्य अर्जित कर सकता है, लेकिन कई रूपों में विराजमान भगवती काली के विभिन्न रूपों की पूजा करने के लिए नवरात्रों को ही उचित माना गया है. क्योंकि काली प्रत्यक्ष फलदा, दर्शनात्स्मरणम् अर्थात शरद तथा चैत्र मास के नवरात्रों मे जो भक्त व्रत, पाठ, कुमारी पूजन, हवन, गणेश पूजन बटुकपूजन करता है.