देहरादूनःउत्तराखंड में चारधाम यात्रा को आज पूरे 25 दिन हो गए हैं. अभी तक साढ़े 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके हैं, लेकिन कई श्रद्धालु अव्यवस्थाओं की वजह से दम भी तोड़ रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि सरकार ने जब यात्रा के दौरान 20 से ज्यादा मौतें हुई थी तो दो मंत्रियों की ड्यूटी लगाई. जिसमें एक मंत्री को बदरीनाथ तो दूसरे मंत्री को केदारनाथ का प्रभारी बनाया गया. आनन-फानन में लिए इस फैसले के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि व्यवस्थाओं में आमूलचूल परिवर्तन होगा.
उम्मीद ये भी थी कि चारधाम में सरकार और प्रभारी मंत्रियों की देखरेख में अधिकारी व कर्मचारी बेहतर काम करके धरातल पर नतीजा दिखा पाएंगे, लेकिन किसी को क्या पता था कि जिन मंत्रियों की ड्यूटी चारधाम यात्रा में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए लगाई गई है, वो मंत्री भी खानापूर्ति के लिए बयानबाजी और हवाबाजी में ही काम करते नजर आएंगे.
चारधाम यात्रा को लेकर दावे और हकीकत. क्या इंसान, क्या जानवर सब गंवा रहे जानःचारधाम यात्रा में न केवल इंसान अपनी जान गंवा रहे हैं. बल्कि, यह मौत अब केदारनाथ मंदिर तक श्रद्धालुओं को लाने ले जाने और सामान को ढोने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे घोड़े खच्चरों तक पहुंच गई है. अभी तक 70 घोड़े खच्चरों की मौत हो चुकी है. जिससे सवाल खड़े हो रहे हैं कि ऐसी व्यवस्थाओं के बीच न तो इंसान सुरक्षित है और न ही जानवर.
हैरानी की बात यह है कि चारधाम यात्रा में जब कुछ श्रद्धालुओं की मौत हुई थी, तब तक न केवल सत्ता पक्ष बल्कि विपक्ष और राज्य में भी इसकी चर्चा जोरों पर थी, लेकिन अब इंसानों और जानवरों की मौत के आंकड़े जैसे-जैसे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे यह मुद्दा और इन पर चर्चा करने वाला राज्य में शायद ही कोई हो. जिनको व्यवस्थाएं करनी है, वो मुख्यमंत्री के उपचुनावों में वोट मांगने में व्यस्त हैं और जिनको विरोध करना है, वो विपक्ष खामोशी धारण किए हुए हैं.
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ऐसे में जानवरों की मौत होता देख विपक्ष ने तो कुछ बोला नहीं, लेकिन केंद्र सरकार में पूर्व केंद्रीय मंत्री रहीं और लोकसभा सांसद मेनका गांधी ने जरूर राज्य सरकार को चेतावनी भरे लहजे में यह बताने की कोशिश की है कि जो जानवर चारधाम यात्रा के दौरान मर रहे हैं. उनकी हिफाजत करना भी राज्य सरकार और इंसानों का ही काम है.
लिहाजा, सरकार इस ओर ध्यान दें और केदारनाथ में हो रही जानवरों की मौत को कैसे रोका जाए? इस पर भी काम करें. सतपाल महाराज से हुई मेनका गांधी की फोन पर बातचीत में मेनका ने राज्य सरकार को हर संभव प्रयास करने के लिए कहा है. उन्होंने ये भी कहा है कि 25 दिनों में जिस तरह से जानवरों की मौत बढ़ रही है. आगे ऐसा ना हो इसके लिए सरकार उनकी संस्था को भी सुनिश्चित करें.
मेनका गांधी की चेतावनी के बाद जागा प्रशासनःसुल्तानपुर में बैठी लोकसभा सांसद मेनका गांधी ने सतपाल महाराज से बातचीत की तो राज्य सरकार और उनके अधिकारियों को भी यह समझ आ गया कि मामला ज्यादा तूल पकड़ सकता है. लिहाजा, रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी ने आनन-फानन में बयान भी जारी कर दिया.
जिलाधिकारी की मानें तो अब तक 70 जानवरों की मौत हुई है. यह मौतें और ना हो, इसके लिए कुछ डॉक्टरों को यात्रा मार्गों पर लगाया गया है. इसके साथ ही कुछ संस्थाओं से भी आग्रह किया गया है कि वो प्रशासन का सहयोग करें. इतना ही नहीं जिलाधिकारी की मानें तो हर रोज सैकड़ों जानवरों का चेकअप किया जा रहा है. ताकि किसी तरह की कोई महामारी या बीमारी घोड़े खच्चरों में ना फैलें.
कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने की खानापूर्तिःबता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धन सिंह रावत और सुबोध उनियाल को उस वक्त दो धामों का मंत्री बनाया था, जिस वक्त राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज दुबई दौरे पर थे. फजीहत होता देख आनन-फानन में राज्य सरकार ने यह फैसला लिया था, लेकिन हैरानी की बात यह है कि उसके बाद चारधाम यात्रा की मॉनिटरिंग करने के लिए धरातल पर कोई भी मंत्री नहीं गया.
मुख्यमंत्री ने धन सिंह रावत को तत्काल प्रभाव से केदारनाथ मंदिर और यात्रा रूट की व्यवस्थाओं को देखने के लिए भेजा, लेकिन धन सिंह रावत भी गुप्तकाशी में जिलाधिकारी और संबंधित अधिकारियों की बैठक लेकर देहरादून लौट गए. अब कोई मंत्री जी से यह पूछे कि भला गुप्तकाशी में बैठकर कर कैसे गौरीकुंड और सोनप्रयाग समेत केदारनाथ तक की व्यवस्थाओं को देखा जा सकता है.
मंत्री धन सिंह ने इतनी भर भी कोशिश नहीं की तो यह यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड और सोनप्रयाग तक जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लें. व्यवस्थाओं की वजह से लोगों की जान जा रही है. मुख्यमंत्री के आदेश पर गए धन सिंह रावत ने खानापूर्ति कर एक ही दिन में सारी व्यवस्थाओं को सुधार करने का आश्वासन तो दिया, लेकिन उसके बाद मंत्री जी केदारनाथ की तरफ मुड़कर दोबारा नहीं गए.
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सुबोध उनियाल तो गए ही नहीं बदरीनाथःयह हाल तो धन सिंह रावत का था, लेकिन उससे भी एक हाथ आगे मंत्री सुबोध उनियाल निकले. राज्य में वन एवं पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण पद संभाल रहे सुबोध उनियाल को बदरीनाथ का प्रभारी मंत्री बनाया गया था. सुबोध ने बदरीनाथ जाने का विचार भी किया, लेकिन एकाएक मौसम बदलने की वजह से मंत्री जी हवा में नहीं उठ पाए. बताया जाता है कि उस वक्त उनका हेलीकॉप्टर देहरादून से उड़कर गौचर जाने की स्थिति में नहीं था.
लिहाजा सुबोध उनियाल ने अपना बदरीनाथ जाने का कार्यक्रम ही रद्द कर दिया. मंत्री जी ने बीते दिनों जिस तरह से मुंबई में बैठकर वनाग्नि पर समीक्षा बैठक कर ली थी. ठीक वैसे ही सुबोध उनियाल ने अपने प्रभार का दायित्व निभाते हुए देहरादून से ही फोन पर अधिकारियों से बातचीत कर इतिश्री कर दी. यात्रा को शुरू हुए 25 दिन से अधिक हो गए, लेकिन मजाल है सुबोध उनियाल बदरीनाथ के किसी यात्रा मार्ग पर व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए गए हों.
कांग्रेस का विरोध लेकिन बेसरःचारधाम यात्रा के दौरान जगह-जगह अव्यवस्था फैली हुई हैं, जो यात्री हजारों किलोमीटर दूर से महीनों पहले से प्लान बनाकर हरिद्वार-ऋषिकेश पहुंचे हुए हैं, उन्हें वापस अपने घर लौटना पड़ रहा है. क्योंकि, न तो रजिस्ट्रेशन की सेवाएं सुचारू रूप से चल पा रही है और न ही उनके पास इतने लंबे समय तक कोई ठहरने का ठिकाना है.
लिहाजा, इन सभी बातों को देखकर भी कांग्रेस के बड़े नेता भले ही खामोश हों, लेकिन देहरादून कांग्रेस भवन में बैठे कुछ एक प्रवक्ता जरूर अपने प्रवक्ता होने का कर्तव्य निभा रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी की मानें तो राज्य सरकार चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह से फेल हो गई है. तमाम मंत्री और खुद मुख्यमंत्री चारधाम यात्रा नहीं बल्कि, अपने चुनाव प्रचार पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.
किस तरह की दिक्कतें हैं चारधाम यात्रा मार्ग परःहर साल यात्रा के दौरान भीड़ होना लाजमी है, लेकिन इस बार की भीड़ उम्मीद से ज्यादा है. ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार को इस बात की जानकारी नहीं थी कि राज्य में इस बार चारधाम यात्रा पर रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु पहुंचने वाले हैं. खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही बार बार यह बयान दे रहे थे कि इस बार की यात्रा ऐतिहासिक होगी, लेकिन सब कुछ जानते हुए भी राज्य सरकार तमाम विभागों की व्यवस्था क्यों नहीं की. क्यों यात्रियों को वापस जाना पड़ रहा है. यह बड़ा सवाल है.
चारधाम मार्गों पर डॉक्टरों की कमी, शौचालयों की कमी, केदारनाथ मार्ग पर हल्की सी बारिश होने के बाद कीचड़ मलबा और पानी की वजह से यात्रियों का चलना मुश्किल है. हार्ट अटैक से लगातार केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री में मौतें हो रही है. खाने पीने की वस्तुएं उम्मीद से ज्यादा महंगी है.
यात्रियों को यात्रा के दौरान ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था ठीक से नहीं मिल पा रही है. इसके साथ ही रजिस्ट्रेशन में यात्रियों को 1 से 2 दिन का समय लग रहा है. यह कुछ ऐसी व्यवस्थाएं हैं, जिनको अगर राज्य सरकार समय से पूरा कर लेती तो शायद राज्य सरकार के पास भी बोलने के लिए बहुत कुछ रह जाता और चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु भी अपने साथ खूबसूरत यादें लेकर जाते.
चारधाम यात्रा में फर्जीवाड़े से बचने की अपीलःचारधाम यात्रा में यात्रियों को फर्जीवाड़े से बचाने और यात्रा को सुगम करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. इसके तहत श्रद्धालुओं को तीन महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देने के लिए कहा गया है. बता दें कि चारधाम यात्रा के लिए जरूरी रजिस्ट्रेशन में भी गड़बड़ियां सामने आई है.
पकड़े गए कुछ मामलों में रजिस्ट्रेशन का पेपर फर्जी तरीके से बनवाने की बात सामने आई है. जिसके बाद पर्यटन विभाग ने अब क्यू आर कोड के जरिए श्रद्धालुओं के रजिस्ट्रेशन का निरीक्षण करने का फैसला किया है. जिसके बाद अब कोई भी श्रद्धालु फर्जी रजिस्ट्रेशन के जरिए चारधाम यात्रा नहीं कर पाएगा. सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने श्रद्धालुओं को सुझाव दिया है कि रजिस्ट्रेशन में किसी भी तरह के फर्जीवाड़े से उन्हें बचना चाहिए.
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इसके अलावा हेलीकॉप्टर की बुकिंग के लिए कोई भी बाहरी व्यक्ति के बहकावे में नहीं आना चाहिए. ऐसा करने से श्रद्धालु परेशानी में आ सकते हैं. साथ बी सुझाव दिया है कि यात्री लंबी यात्रा के फौरन बाद धाम में दर्शन के लिए पैदल यात्रा न करें. ऐसा करने से शारीरिक रूप से थकान उनके लिए परेशानी बन सकती है. यात्रियों को यात्रा करने से पहले अपना चारधाम के लिए शेड्यूल तय करना चाहिए. ताकि रुक रुक कर यात्रा को सुगम बनाया जा सके.
पर्यटन विभाग का तीसरा सुझाव यात्रियों की बढ़ती भीड़ से जुड़ा था. दिलीप जावलकर ने कहा कि देशभर से यात्री चारधाम में पहुंच रहे हैं. अब तक यह आंकड़ा 11 लाख से ज्यादा हो चुका है. जबकि, 20 लाख से ज्यादा लोगों ने यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया है. यह यात्रा 1 महीने की नहीं है. अगले 6 महीने तक चलेगी. ऐसे में यात्री बिना जल्दबाजी के चारधाम की यात्रा कर सकते हैं.
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा (Chardham Yatra 2022) में श्रद्धालुओं की संख्या रिकॉर्ड तोड़ रही है. बीती 3 मई से चारधाम यात्रा शुरू हुई थी. अभी तक 11 लाख 65 हजार 998 चारधाम के दर्शन कर चुके हैं. सबसे ज्यादा श्रद्धालु केदारनाथ में पहुंचे हैं, जहां 3 लाख 81 हजार (3,81,006) तीर्थयात्री बाबा केदार का आशीर्वाद ले चुके हैं.
केदारनाथ और बदरीनाथ में यात्रियों की संख्याःकेदारनाथ में 6 मई से अभी तक 3,81,006 तीर्थ यात्री दर्शन कर चुके हैं. आज शाम चार बजे तक 13,732 बाबा केदार का आशीर्वाद ले चुके हैं. उधर, बदरीनाथ धाम में 8 मई से अभी तक 3,84,374 यात्री बदरी विशाल के आशीर्वाद ले चुके हैं. आज की बात करें शाम 4 बजे तक 20,586 श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे. ऐसे में बदरीनाथ और केदारनाथ पहुंचने वाले कुल तीर्थयात्रियों की संख्या 7,65,380 पहुंच गई है.
गंगोत्री और यमुनोत्री में यात्रियों की संख्याःगंगोत्री धाम में3 मई से आज तक 2,29,724 और यमुनोत्री धाम में 1,70,894 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं. आज की बात करें तो गंगोत्री में 8,875 और यमुनोत्री में 6,916 तीर्थ यात्रियों ने मत्था टेका. ऐसे में गंगोत्री और यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 4,00,618 पहुंच गई है.
हेमकुंड साहिब में यात्रियों की संख्या:बता दें कि बीती 22 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट खुले थे. अभी तक 12,252 श्रद्धालु गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब में मत्था टेक चुके हैं. वहीं, इस बार एक दिन में 5000 श्रद्धालुओं को ही हेमकुंड साहिब में मत्था टेकने की अनुमति दी जा रही है.
गंगोत्री धाम में एक तीर्थयात्री की हार्ट अटैक से मौतःगंगोत्री धाम की यात्रा पर आए गुजरात के एक तीर्थ यात्री की हार्ट अटैक से मौत हो गई. जिसके बाद गंगोत्री धाम में मरने वालों की संख्या अब 7 पहुंच गई है. जानकारी के मुताबिक, राजेंद्र भाई (उम्र 69 वर्ष), निवासी नंद डुप्लेक्स, बिलेश्वर टेंपल थाना माचलपुर जिला बड़ोदरा गुजरात की अचानक तबीयत खराब हो गई. जिसे स्वामी विवेकानंद धर्मार्थ चिकित्सालय में भर्ती कराया. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया.
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केदारनाथ में चार तीर्थयात्रियों की मौतःकेदारनाथ यात्रा में मरने वालों का आंकड़ा 48 पहुंच गया है. शनिवार को चार तीर्थयात्रियों की मौत हुई है. जिनमें रताकोंडा शेखर बाबू(उम्र 64 वर्ष), निवासी लक्ष्मीनारायण आंध्र प्रदेश, पेमा पाटीदार (उम्र 71 वर्ष), निवासी अंबिका पाथ, अंगज रेव्न्यू एरिया मध्य प्रदेश, प्रेमजी रामजी बाई यादव (उम्र 62 वर्ष) निवासी तेहरसी सीतारामनगर भरतनगर रोड़ भावनगर गुजरात और बीरेंद्र सिंह कटारा (उम्र 70 वर्ष) कनवरबाद मध्य प्रदेश की मौत हुई है.
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