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कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह गहरवार ने मांगा टिकट, निर्दलीय चुनाव लड़ने की कहीं बात

चुनावी साल में रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट से कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं ने बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिया है और पार्टी हाईकमान के सामने खुद की मजबूत दावेदारी पेश की है.

Congress leader Arjun Singh Gaharwar
Congress leader Arjun Singh Gaharwar

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Published : Jan 3, 2022, 10:36 AM IST

Updated : Jan 3, 2022, 11:24 AM IST

रुद्रप्रयाग:उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 (uttarakhand assembly election 2022) के लिए कुछ ही समय शेष रह गया है. वहीं, चुनावी साल में रुद्रप्रयाग विधानसभा से कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं ने बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिया है और पार्टी हाईकमान के सामने खुद की मजबूत दावेदारी पेश की है. जिससे अगर उन्हें टिकट नहीं दिया जाता है तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ने के साथ ही किसी अन्य दल का दामन थामने के लिए भी तैयार हैं.

रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट से कांग्रेस में कई दिग्गज नेता विधायक की दौड़ में शामिल हो चुके हैं. जो अपना टिकट पक्का होने की बात कहकर जनता के बीच जा रहे हैं जबकि कुछ ऐसे वरिष्ठ नेता भी हैं जो पार्टी हाईकमान के सामने अपने को मजबूत दावेदार बताकर टिकट मांग रहे हैं. वहीं, टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने के साथ ही किसी अन्य दल के प्रत्याशी का समर्थन भी खुलकर करने की बात कर रहे हैं.

कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह गहरवार ने मांगा टिकट.

तीन दशक से कांग्रेस पार्टी में अपनी विचारधारा रखने कांग्रेस वरिष्ठ नेता एवं पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख जखोली अर्जुन सिंह गहरवार ने इस बार खुलकर आगे आकर कांग्रेस हाईकमान को चुनौती दे दी है. उन्होंने जिला मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस उन्हें टिकट नहीं देती है तो वे किसी अन्य दल के प्रत्याशी को अपना समर्थन देंगे. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी मातबर सिंह कंडारी को हराने के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा था. क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी डाॅ. हरक सिंह रावत अपने साढू भाई के सामने कमजोर नजर आ रहे थे और जखोली विकासखंड में भाजपा प्रत्याशी का बहुत बड़ा जनाधार था. ऐसे में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिससे भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा. यह सब एक रणनीति के तहत किया गया. जिसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिला. इस चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने पर उन्हें सात हजार के करीब वोट मिले थे. उन्हें राज्यमंत्री बनाए जाने का प्रलोभन दिया गया, मगर कांग्रेस ने यह वादा भी पूरा नहीं किया.

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कांग्रेस प्रत्याशी को चुनाव जिताने के बाद डाॅ. हरक सिंह रावत कांग्रेस के लिए भस्मासुर साबित हुए थे. वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा फिर से इस सीट से चुनाव जीत गई. इस समय रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट से कांग्रेस से कोई भी मजबूत प्रत्याशी नहीं है. उन्होंने कहा कि वे उत्तराखंड के गांधी स्वर्गीय इन्द्रमणि बडोनी के विचारों से आगे बढ़े हैं और इस बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ या तो चुनाव लड़ा जाएगा या फिर किसी अन्य दल का दामन थामा जाएगा.

अर्जुन सिंह गहरवार ने कहा कि भाजपा विधायक ने इन पांच सालों में कोई भी विकास कार्य नहीं किया है. जिसे वे अपनी उपलब्धि बता सकें. एक ओर पूरे प्रदेश में रोजगार को लेकर युवा नौजवान परेशान हैं. वहीं, उन्होंने विधायक निधि से युवाओं को ढोल चिमटा पकड़ा दिया है. यह काम विधायक का नहीं है, जो रोजगार के नाम पर ऐसा कृत्य करें. विधायक स्वयं बड़ी गाड़ियों में घूम रहे हैं और खुद कुर्सियों में बैठ रहे हैं. जबकि जनता को दरी में बैठाया जा रहा है. जखोली क्षेत्र में खोले गये कृषि महाविद्यालय की दयनीय स्थिति बनी हुई है, जबकि पाॅलीटेक्निक भवन खंडहर होता जा रहा है. छात्रों को यहां कोई सुविधा नहीं मिल रही है. सैनिक स्कूल का निर्माण कार्य आज तक अधर में लटका हुआ है. तत्कालीन रुद्रप्रयाग विधायक डाॅ. हरक सिंह रावत ने सैनिक स्कूल की नींव रखी थी, निर्माण को लेकर दस करोड़ रूपये स्वीकृत कराए गए. जिन पैसों की बंदरबांट हो गई. जो वर्तमान विधायक क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाने को अपनी उपलिब्ध बता रहे हैं वो विधायक की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है.

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क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत एवं जिला पंचायत के प्रस्ताव के बिना ही सड़कों का निर्माण कराया गया. इसमें भी विधायक ने अपने चहेतों को कार्य देकर फायदा निकाला है. भरत सिंह चौधरी के कार्यों से जनता खुश नहीं है. उन्होंने कहा कि ज्येष्ठ प्रमुख रहते हुए उन्होंने क्षेत्र का विकास किया, जो कार्य ज्येष्ठ प्रमुख रहते हुए किए गए उतना ही कार्य विधायक रहते हुए चौधरी कर पाए हैं. कुछ तथाकथित जनप्रतिनिधि जखोली ब्लाॅक का नाम बदलने का प्रयास कर रहे हैं. बिना जनता को विश्वास में लिए और बिना किसी मांग और घोषणा के यह किया जा रहा है.

वहीं, स्वर्गीय सत्ये सिंह राणा ने जखोली विकासखंड की नींव रखी थी और उनके रखे गए नाम को ही बदला जाना कहां तक उचित है. यह सरासर उनका अपमान है. जखोली बचाओ संघर्ष समिति का गठन कर जनता को जागरूक किया जा रहा है. किसी भी सूरत में जखोली ब्लाॅक मुख्यालय का नाम नहीं बदलने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को विचार करना होगा. सर्वे कराना होगा और सर्वे के आधार पर ही टिकट देना. इससे यह साबित हो जाएगा कि किस कांग्रेस कार्यकर्ता का जनता के बीच जनाधार है.

Last Updated : Jan 3, 2022, 11:24 AM IST

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