रुद्रप्रयाग:आखिरकार चारधाम तीर्थ पुरोहितों एवं हक हकूकधारियों के लम्बे आंदोलन के बाद प्रदेश की धामी सरकार ने पूरा नफा नुकसान का जायजा लेकर चारधाम देवस्थानम् बोर्ड एक्ट को भंग करने की घोषणा कर दी है. यह सफलता तीर्थ पुरोहितों एवं हक हकूकधारियों को लम्बे आंदोलन से नहीं मिला, नंगे बदन तीर्थ परिक्रमा करके नहीं, सिर के बल उल्टे चलकर भी नहीं मिली. यहां तक कि प्रधानमंत्री को खून से खत लिखने पर भी नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री के केदारनाथ दौरे से दो दिन पूर्व देवस्थानम बोर्ड को बनाने वाले पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों द्वारा किए गये विरोध ने दिलाया. ऐसे में अब राजनैतिक दल देवस्थानम बोर्ड भंग होने का श्रेय लेने में जुटे हैं.
बता दें कि पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों द्वारा इस विरोध ने चुनावी साल में भाजपा को नुकसान की आशंका ने घेरा, वहीं प्रदेश सरकार में प्रधानमंत्री के दौरे को निष्कटंक बनाने के लिए भी छटपटाहट दिखाई दी. आनन-फानन में सरकार ने मंत्रियों को वार्ता के लिए केदारनाथ भेजा तथा स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने केदारनाथ पहुंचकर तीर्थ पुरोहितों से वार्ता की और आश्वासन दिया कि उनकी मांग पर विचार किया जायेगा.
अब प्रदेश सरकार के सामने तीन रास्ते थे. या तो वह त्रिवेन्द्र सरकार द्वारा पूर्व में लिए गये कई फैसलों को स्थगित करने जैसा इसे भी स्थगित कर दें या इसमें कई प्रावधानों को हटाकर नये प्रावधानों को जोड़कर संशोधित कर दिया जाय अथवा बोर्ड को ही भंग कर दे. मगर बोर्ड को भंग करने का साहस प्रदेश सरकार नहीं जुटा पाई. हालांकि, सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर एक कमेटी का गठन कर दिया, जिसने भी केवल संशोधन की बात कही. इसी बीच केन्द्र सरकार ने भी चार राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए तीनों कृषि बिलों को वापस ले लिया तो धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का साहस दिखाया.
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दरअसल, देवस्थानम बोर्ड का सबसे अधिक असर केदारनाथ विधानसभा पर ही पड़ रहा था और तीर्थ पुरोहितों एवं हक हकूकधारियों का आन्दोलन भी सबसे अधिक केदारनाथ में ही चल रहा था. ऊपर से 2017 में मोदी की प्रचंड आंधी में भी भाजपा यह सीट नहीं जीत पाई थी. ऐसे में तीर्थ पुरोहितों का आन्दोलन 2022 के चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता था. ऐसे में मजबूरन सरकार ने अपनी ही पूर्ववर्ती सरकार के फैसले को बदलते हुए बोर्ड को भंग करने का निर्णय लिया.