रुद्रप्रयाग: सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत गुरुवार को रुद्रप्रयाग के दौरे पर थे, जहां उन्होंने कई योजनाओं को लोकापर्ण किया. इस दौरान उन्होंने पूर्व सीएम हरीश रावत पर टिप्पणी की. सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बूढ़े हो गये हैं और उन्होंने राजनीति से सन्यास लेन की भी घोषणा कर दी है. ऐसे में अब हरीश रावत को हमारा मार्गदर्शन करना चाहिए. कांग्रेस की उत्तराखंड के अलावा पूरे देश में बुरी स्थिति है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास को लेकर प्रदेश सरकार निरंतर प्रयासरत है. प्रत्येक गांव को सड़क से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में प्रदेश का विकास रसातल पर चला गया था, लेकिन बीजेपी सरकार आते ही प्रदेश का चहुंमुखी विकास हो रहा है. प्रदेश सरकार राज्य के हरेक गांव को सड़क से जोड़ रही है. सड़क के बनने से प्रत्येक गांव का विकास होगा. साथ ही केन्द्र सरकार ने चारधाम और रेल परियोजना का निर्माण करके विकास को नई गति दी है. 2024 में श्रीनगर तक रेल पहुंच जायेगी. चारधाम परियोजना और रेलवे का निर्माण होने से यहां पहुंचने वाले यात्रियों और पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी.
स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष जोर
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधा को भी लगातार बढ़ाया जा रहा है. अल्मोडा, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में तीन नये मेडिकल को स्वीकृति मिली है. 720 डॉक्टरों और 2500 सौ नर्सों की भर्ती की जा रही है. 132 नई एंबुलेंस प्रदेश को दी हैं. 40 एंबुलेंस आधुनिक सुविधा वाली दी हैं. इसके अलावा सैनिक स्कूल दिगधार बड़मा के लिये धनराशि स्वीकृत कर दी है.
काली गंगा प्रथम लघु जल विद्युत परियोजना का लोकार्पण
मुख्यमत्री त्रिेवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड की 4 मेगावाट क्षमता की काली गंगा प्रथम लघु जल विद्युत परियोजना का लोकार्पण किया. काली गंगा प्रथम लघु जल विद्युत परियोजना जिला रुद्रप्रयाग के ऊखीमठ विकासखंड में काली गंगा नदी पर कालीमठ कोटमा मार्ग पर स्थित है. काली गंगा परियोजना का लोकार्पण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना 15-16 जून 2013 में आई अतिवृष्टि और बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गई थी. विद्युत गृह बह जाने के कारण परियोजना से उत्पादन बंद हो चुका था. सुदूरवर्ती क्षेत्र के लिए परियोजना के महत्व को देखते हुए वर्ष 2016 में परियोजना के पुनर्निर्माण कार्य प्रारंभ किए गए. सुदूरवर्ती एवं दुर्गम क्षेत्र में होने के कारण परियोजना के निर्माण कार्य में कई बाधाओं का सामना भी करना पड़ा. अंततः परियोजना को जुलाई 2020 में सफलतापूर्वक तादात्म्य (सिंक्रोनाइजेशन) कर 33 किलो वॉट वितरण लाइन से जोड़ दिया गया था. जल विद्युत निगम के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन व अथक प्रयासों से परियोजना का लोकार्पण किया गया है.