रुद्रप्रयागः सरकार के दावे धरातल पर कितने सच साबित हो रहे हैं, इसकी एक बानगी चमराड़ा गांव में देखने को मिल रही है. पांच साल पहले चुनावी घोषणा पत्र में गांवों तक विकास की गंगा बहाने वाली सरकार के कार्यकाल में चमराड़ा गांव में चालीस परिवारों के सापेक्ष मात्र चार परिवार रह गए हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह सड़क मार्ग का न होना है. सड़क का मामला फाइलों में कैद है. ऐसे में ग्रामीण जान जोखिम में डालकर डेढ़ किमी खड़ी चढ़ाई चढ़ने को मजबूर हैं. ग्रामीण कोई सामान घर ले जाते हैं तो कीमत से ज्यादा उसका भाड़ा मजदूरों को देना पड़ता है.
बता दें कि रुद्रप्रयाग जिले में कई ऐसे गांव हैं, जहां सड़क के अभाव में जनता मीलों की दूरी पैदल नापने को मजबूर है. विकासखंड अगस्त्यमुनि के फलई ग्रामसभा का चमराड़ा गांव (Chamrada) आजादी के सात दशक से सड़क विहीन है. इस गांव में जाने के लिए खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. इस कारण ग्रामीणों की हालत खराब हो जाती है. हर बार के विधानसभा चुनाव में जनता से वादा किया जाता है, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं किया जाता है. इस कारण यहां के लोगों में सरकार और शासन-प्रशासन के प्रति भारी आक्रोश है.
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गांव में 40 परिवार में से रुके सिर्फ 4 परिवारःकभी गांव में चालीस परिवार निवास करते थे, लेकिन आज स्थिति यह है कि सड़क विहीन होने के कारण लोग पलायन (migration from Chamrada) कर गए हैं. गांव में मात्र चार परिवार ही निवास कर रहे हैं. गांव में अधिकांश घर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, जबकि जो थोड़ा बहुत सही हैं, उन घरों में ताले लटके हुए हैं.
चुनावी जुमले मात्र वोट बैंक की राजनीतिः वयोवृद्ध ग्रामीण भगवती प्रसाद थपलियाल और युवा संदीप भटकोटी ने कहा कि चुनावी जुमले मात्र वोट बैंक की राजनीति तक सीमित रह गए हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा में विधायक कांग्रेस पार्टी के हैं, जो गांव की इस समस्या को हल करने में सफल नहीं हो पाए. चुनाव के दौरान ग्रामीणों को बेवकूफ बनाया गया और चुनाव जीतने के बाद कोई सुध नहीं ली है.