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केदारनाथ यात्रा की व्यवस्थाओं से BJP MLA ही असंतुष्ट, सीएम को भेजा ज्ञापन - रुद्रप्रयाग लेटेस्ट न्यूज

इन दिनों उत्तराखंड चारधाम यात्रा चरम पर है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु चारधाम में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. श्रद्धालुओं को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना केदारनाथ में करना पड़ रहा है. केदारनाथ की बीजेपी विधायक शैला रानी रावत भी धाम और यात्रा मार्ग पर सरकार और प्रशासन की व्यवस्थाओं से संतुष्ट नहीं हैं. इसीलिए उन्होंने अपनी कुछ मांगों को लेकर सीएम को ज्ञापन दिया है.

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Published : Jun 7, 2023, 3:38 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा में व्यवस्थाओं को मजबूत और सुगम बनाने को लेकर केदारनाथ विधायक शैला रानी रावत ने प्रदेश सरकार से मांग की है. ताकि यात्रा का संचालन सही तरीके से हो सके. विधायक शैलारानी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव को दिए ज्ञापन में कहा कि केदारनाथ यात्रा अपनी चरम सीमा पर है. यात्रा व्यस्थाओं को मजबूत बनाने की अभी काफी आवश्यकता है. इसमें अतिरिक्त वित्तीय व्यवस्था और अतिरिक्त जनशक्ति की व्यवस्था होनी चाहिए. ताकि यात्रा का संचालन बेहतर तरीके से किया जा सके.

बीजेपी विधायक शैला रानी रावत ने दिया ज्ञापन.

उन्होंने कहा कि रात में केदारनाथ धाम से श्रद्धालुओं के आवगमन पर रोक लगाई जाए. रात्रि के समय पैदल मार्ग पर जंगली जानवरों और पत्थर गिरने का भय बना रहता है. गढ़वाल मण्डल विकास निगम की ओर से केदारनाथ में लगाए गए टेंटों की संख्या को सीमित किया जाए, जिससे स्थानीय बेरोजगार अपनी छोटी-छोटी दुकानें और टेंट लगाकर स्वरोजगार कर सकें.
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केदारनाथ विधायक शैला रानी रावत का कहना है कि शेरसी से सोनप्रयाग के बीच आए दिन जाम लग रहा है. जाम से निजात दिलाने की समुचित व्यवस्था की जाए. शैलारानी रावत की मांग है कि केदारनाथ यात्रा के सफल संचालन और निगरानी के लिए अलग से मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की जाए. वह यात्रा व्यवस्था में लगे सभी विभागीय कर्मचारियों से समन्वय स्थापित कर सके.

केदारनाथ यात्रा के उचित संचालन के लिए मैन पावर बढ़ाई जाए, जिसमें अतिरिक्त पुलिस बल, एसडीआरएफ, आर्मी और अतिरिक्त पीआरडी जवानों की नियुक्ति की जाए. मंदिर समिति के कर्मचारियों को तीर्थयात्रियों को दर्शन कराने के लिए अतिरिक्त यात्रा व्यवस्था का कार्य भी दिया जाए.

केदारनाथ यात्रा में संचालित घोड़े-खच्चरों को जरूरत के अनुसार लाइसेंस और रजिट्रेशन किया जाए. गौरीकुंड के घोड़ा पड़ाव में आपदा में बहे पुल का पुननिर्माण किए जाने की नितान्त आवश्यकता है. इस पुल के निर्माण से घोड़ा पड़ाव व पैदल मार्ग पर घोड़े खच्चरों की अनावश्यक भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है.

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