रुद्रप्रयाग: बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने के दूसरे दिन मंगलवार को केदार बाबा के अग्रवीर भुकुंट भैरवनाथ के कपाट भी खोल दिए गए. पौराणिक मान्यता के अनुसार केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद शनिवार या मंगलवार को भुकुंट भैरवनाथ के कपाट खोले जाते हैं और फिर केदारनाथ मंदिर में सायंकालीन आरती भी शुरू होती है.
कोरोना की दूसरी के चलते भैरवनाथ के कपाट खोलने के लिए मुख्य पुजारी के साथ ही वेदपाठी पारंपरिक परंपरा का निर्वहन करने पहुंचे. वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा कर भगवान को प्रसन्न किया गया. ऐसी मान्यता है कि जब तक भगवान भैरवनाथ के कपाट नहीं खोले जाते, तब तक भगवान केदारनाथ की आरती नहीं की जाती है. इसलिए भैरवनाथ के कपाट खुलने के बाद सायं से मंदिर में बाबा केदार की आरती भी शुरू हो गई है.
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मुख्य पुजारी द्वारा ही बाबा केदार की भव्य आरती की जाती है. भैरवनाथ के कपाट खुलने के बाद केदारनाथ के स्वयंभू लिंग पर नए स्वर्ण मुकुट को भी सुशोभित किया गया. बता दें कि शीतकाल के दौरान केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग ने बेंगलूरू में नौ सौ ग्राम स्वर्ण मुकुट बनवाया था. इस स्वर्ण मुकुट को देवताओं में बाबा केदारनाथ और मनुष्य में सिर्फ केदारनाथ के रावल ही धारण करते हैं.
सायंकालीन आरती के समय मंदिर में उपस्थित लोग स्वर्ण मुकुट के दर्शन कर सकेंगे. अब केदारनाथ में प्रतिदिन दोपहर बाद मंदिर की साफ सफाई व हवन के उपरांत आराध्य बाबा केदार को भोग लगाने के बाद श्रृंगार कर यह स्वर्ण मुकुट सुभोभित किया जाएगा. यह मुकुट सायंकालीन आरती के बाद उतारा जायेगा, जबकि कपाट बंद होने के बाद डोली के साथ स्वर्ण मुकुट को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर लाया जायेगा.